देहरादून: प्रदेश में अगले माह से शुरू होने वाली चारधाम यात्रा को सुरक्षित और निरापद बनाने के लिए सरकार ने कम कस ली है। इस क्रम में चारधाम यात्रा मार्गों पर 170 ड्रोन से नजर रखी जाएगी। ये अलग-अलग स्थानों पर बनने वाले यात्री सुविधा केंद्रों के आसपास तैनात रहेंगे। ड्रोन के माध्यम से न सिर्फ यातायात व्यवस्था पर नजर रखी जाएगी, बल्कि आपदा की स्थिति में राहत एवं बचाव कार्यों में भी इनका उपयोग किया जाएगा।
चारधाम यात्रा तीन मई से शुरू हो रही है। कोरोना संकट के कारण वर्ष 2020 और 2021 में चारधाम यात्रा प्रतिबंधों के साये में अल्पावधि में संचालित हुई। इस दौरान सीमित संख्या में यात्रियों को कोरोना जांच की निगेटिव रिपोर्ट पर ही यात्रा की अनुमति दी गई। अब कोरोना संक्रमण के मद्देनजर स्थिति नियंत्रण में है। सरकार ने कोरोना से बचाव को लेकर आवाजाही के संबंध में लगाए गए सभी प्रतिबंध समाप्त कर दिए हैं। अब केवल कोविड सम्यक व्यवहार यानी मास्क के उपयोग और सुरक्षित शारीरिक दूरी पर जोर दिया जा रहा है।
इस परिदृश्य के बीच इस वर्ष बड़ी संख्या में यात्रियों के चारधाम यात्रा पर आने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चारधाम यात्रा मार्ग पर पडऩे वाले होटलों में एडवांस बुकिंग जोरों पर है। केदारनाथ हेली सेवा के लिए भी 20 दिन की अग्रिम बुकिंग फुल हो चुकी है। इसे देखते हुए सरकार इस बार सुरक्षित व सुगम चारधाम यात्रा पर जोर दे रही है। इसके लिए यात्रा मार्ग पर ड्रोन तैनात किए जा रहे हैं।
इन्फारमेशन टेक्नोलाजी डेवलपमेंट एजेंसी (आइटीडीए) ने इसकी तैयारी भी शुरू करते हुए ड्रोन पायलट को प्रशिक्षण देना प्रारंभ कर दिया है। प्रदेश में इस समय पर्वतीय व मैदानी जिलों में 170 पंजीकृत ड्रोन पायलट हैं, जिनके पास ड्रोन भी हैं। आइटीडीए इन्हें चारधाम यात्रा मार्गों पर यातायात व्यवस्था और आपदा प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित कर रहा है।
इससे यात्रा मार्ग पर लगने वाले जाम के सही कारणों की जानकारी मिल सकेगी और यातायात सुगम किया जा सकेगा। साथ ही आपदा की स्थिति में ड्रोन के जरिये आपदाग्रस्त क्षेत्रों की सही तस्वीर मिल सकेगी और राहत व बचाव कार्यों को बेहतर तरीके से गति दी जा सकेगी।
निदेशक आइटीडीए अमित सिन्हा ने बताया कि ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण चल रहा है। चारधाम यात्रा मार्गों पर दी जाने वाली सेवा के लिए उन्हें भुगतान भी किया जाएगा।