उत्तराखंड:-जापान में 5 रेस्टोरेंट कठिन परिस्थितियों में हार न मानकर चला रहे पहाड़ के विकास,

उत्तराखंड:-जापान में 5 रेस्टोरेंट कठिन परिस्थितियों में हार न मानकर चला रहे पहाड़ के विकास,
अंकुर हल्द्वानी

राज्य के टिहरी गढ़वाल जिले के बूढ़ा केदार निवासी विकास सेमवाल राज्य के अन्य युवाओं की तरह वर्ष 2009 में नौकरी की तलाश में जापान चलें ग‌ए थे। विकास ने मेरठ से कंप्यूटर साइंस से बीटेक किया था उन्हें जल्द ही एक कंसल्टेंसी में कम्प्यूटर इंजीनियर की नौकरी मिल गई। दो वर्षों तक तो सबकुछ ठीक चला परंतु वर्ष 2011 में वैश्विक मंदी के दौरान कंसल्टेंसी बंद हो गई और विकास की नौकरी छूट गई। बावजूद इसके विकास ने हार नहीं मानी और जापान में ही रहकर कारोबार करने की सोची। दो वर्षों तक स्थानीय बाजार का अध्ययन करने के उपरांत विकास ने जापान के ओसाका शहर में साल 2013 में पहला रेस्टोरेट खोला। विकास की कड़ी मेहनत रंग लाई और उनका रेस्टोरेंट चल निकला। जापान के एक सफल कारोबारी के रूप में उभरे विकास जल्द ही न केवल अपने परिवार को भी जापान ले गए बल्कि उन्होंने एक के बाद एक न‌ए रेस्टोरेंट भी खोले। वर्तमान में विकास पांच रेस्टोरेंट के मालिक हैं जिनमें से एक रेस्टोरेंट अभी भी वहीं चलाते हैं जबकि शेष चार रेस्टोरेंट को उनके माध्यम से अन्य लोग चला रहे हैं। इतना ही नहीं अपने क्षेत्र के दस लोगों को विकास ने अपने इन रेस्टोरेंट में रोजगार भी मुहैया कराया है।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गणगीत की इन चंद पंक्तियों को एक बार फिर सही साबित कर दिखाया है मूल रूप से राज्य के टिहरी गढ़वाल जिले के रहने वाले विकास सेमवाल ने। ऐसे समय में जबकि हमने बीते शनिवार को ही सोलहवां प्रवासी भारतीय दिवस मनाया है, विकास जैसे होनहार युवाओं की सफलता एवं संघर्षों की कहानियों को बयां कर आप सभी तक पहुंचाना और भी अधिक जरूरी हो जाता है। विकास भी अन्य प्रवासी भारतीयों की तरह नौकरी की तलाश में जापान गया था, कुछ वर्षों तक विकास ने वहां नौकरी भी की, परंतु 2011 में आई वैश्विक मंदी ने जल्द ही उनके रोजगार को छीन लिया। विकास चाहते तो ऐसी विपरीत परिस्थितियों में वापस अपने गांव लौट सकते थे परन्तु उन्होंने इन विषम परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और जापान में ही कारोबार करने की सोची। उन्होंने सबसे पहले अपने वर्किंग वीजा को बिजनेस वीजा में परिवर्तित कराया और इसके बाद साल 2013 में पहला रेस्टोरेट खोला। यह उनकी कड़ी मेहनत का ही परिणाम है कि विकास आज जापान के ओसाका शहर में जेजीकेपी (जय गुरु कैलापीर) नाम से पांच होटल-रेस्टोरेंट की एक श्रृंखला चलाते हैं। यही कारण है कि विकास जब भी अपने गांव आते हैं तो गांव के युवा उनसे बिजनेस के नुस्खे सीखते हैं।

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