पूर्वांचल ब्यूरो
अबकी बार मानसून की मेहरबानी मुसीबत भी लेकर आई। गंगा और वरुणा के तटीय गांव के किसानों को झटका लगा है। अगस्त में आई बाढ़ ने 52 गांव के किसानों को प्रभावित किया। बाढ़ के कारण 620 बीघे धान, बाजरा, तिलहन, दलहनी फसल को चौपट हो गई।
कृषि और राजस्व विभाग की संयुक्त सर्वे रिपोर्ट आने के बाद मुआवजे के लिए शासन को भेजी गई। अभी तक किसानों को मुआवजा नहीं मिल सका है।
ताऊते और यास चक्रवात से जिले में अप्रैल और मई में रिकार्ड बारिश हुई। जून में मानसून भी समय से करीब 11 दिन पूर्व आ गया। जुलाई में भी रुक-रुककर बारिश होती रही, लेकिन अगस्त में तीन से चार दिनों की बारिश और पहाड़ी क्षेत्रो में बारिश से गंगा का पानी तेजी से बढ़ा। जलस्तर भी 82 मीटर से अधिक पहुंच गया। इससे गंगा से सटे 47 गांव में धान, मक्का, बाजरा, तिलहन, दलहन की फसलें पानी में डूब गई। कई दिनों तक पानी न घटने से दलहनी-तिलहनी, बाजरा और धान की फसल प्रभावित हुई। सितंबर में कृषि और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम ने सर्वे किया। जिसमें पाया गया कि 52 गावों में 40 से 50 फीसद फसल चौपट हो गई। कई ऐसे किसान भी प्रभावित हुए हैं जिनके पास 10 बिस्वा से लेकर एक बीघे ही फसल रही। ऐसे किसानों को घर-परिवार चलाना मुश्किल है।