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हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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छाया – धर्मवीर, कामाख्या ज्योतिष केंद्र।
कुरूक्षेत्र,5 अप्रैल : जय मां दुर्गा जय श्री महाकाल ट्रस्ट कुरूक्षेत्र द्वारा चैत्र नवरात्रों के उपलक्ष्य में करवाए जा रहे श्री दुर्गा शतचंडी पाठ महायज्ञ में मंगलवार को मां दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा हुई।कार्यक्रम आयोजक राजेश मौदगिल परिवार, अंकुश गुप्ता,सतीश गुप्ता और भीम सिंह परिवार ने एवं यजमानों ने कालेश्वर महादेव मंदिर के समीप मां बाला सुंदरी त्रिपुरेश्वरी श्री दुर्गा देवी यज्ञशाला मंदिर में पूजन किया। कार्यक्रम में उज्जैन से आए बृज परिक्रमाचार्य नागा संन्यासी महंत गुप्तगिरी महाराज (जूना अखाड़ा) के सान्निध्य में यज्ञाचार्य पंडित भरत बिंजोला ने यजमानों से हवन में आहुतियां डलवाई। हवन के पश्चात कन्यापूजन और महिला श्रद्धालुओं द्वारा कीर्तन किया गया।मां दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की व्याख्या करते हुए महंत रूद्र पुरी महाराज प्यौदा (कैथल) ने कहा कि चैत्रीय नवरात्रि का आज चौथा दिन है।इस दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप देवी कूष्मांडा की पूजा होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता ने अपनी मंद मुस्कान से सृष्टि की रचना की थी, इसलिए माता को सृष्टि की आदिशक्ति भी कहा जाता है। माता को अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है, क्योंकि माता की आठ भुजाएं हैं। माता की आठों भुजाओं में कमंडल, धनुष बांण, शंख, चक्र, गदा, सिद्धियों व निधियों से युक्त जप माला और अमृत कलश विराजमान है। मां कूष्मांडा ने अपनी मंद मंद मुस्कान की छटा बिखेरकर सृष्टि की रचना की थी, इसलिए माता को आदि स्वरूपा और आदिशक्ति कहा जाता है। माता की मुस्कान से पूरा ब्रह्मांड ज्योर्तिमय हो उठा। इसके बाद माता ने सूर्य, तारे, ग्रह और सभी आकाश गंगाओं का निर्माण किया। माता को पृथ्वी की जननी कहा जाता है। सूर्य मंडल के पास के एक लोक में मां कूष्मांडा निवास करती हैं।कार्यक्रम में पण्डित कंवर पाल भुस्तला राकेश मौदगिल,मोनू पंडित, सौरव पंडित,रमेश शर्मा बारवा, आशुतोष, राहुल, मोहित, रमाकांत पाठक, पंकज तिवारी, लवकेश व्यास, शौर्य पंडित, अमित शुक्ला, गोपाल, रक्षित, हर्षित और राधेश्याम आदि शामिल रहे।