ग्राम पंचायतें अब बाल संरक्षण कार्यक्रम को ग्राम विकास योजना में शामिल कर सकेगीं।
आजमगढ़।
अब जनपद की समस्त ग्राम पंचायतें बाल संरक्षण पर कार्य कर सकेगीं। बच्चों के भरण-पोषण, स्वास्थ्य और अनाथ बच्चों के लिए पंचायत स्तर पर योजनाएं बना सकेगीं और क्रियान्वित कर सकेगीं। यह जिला पंचायत राज अधिकारी श्री लाल जी दूबे द्वारा जारी समस्त खण्ड विकास अधिकारियों को आदेश और ‘ रोजा संस्थान ‘ की पहल पर सम्भव हो सका है। इस आदेश से जनपद के लाखों बच्चों को जीने का सहारा मिल सकेगा।
बताया जा रहा है कि जनपद में संक्रमण और अन्य कारणों से अनेक बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया और अवसाद की स्थिति में चले गएँ, जिससे उनके स्वास्थ्य और मन-मस्तिष्क पर विपरीत प्रभाव पड़ा और उनमें असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न हुई। ऐसे बच्चों के लिए अब पंचायतें ग्राम विकास योजना बनाते समय बाल संरक्षण के मुद्दे को शामिल करेंगी।
‘रोजा संस्थान ‘ आजमगढ़ के जिला समन्वय सुधीर चन्द्र अस्थाना ने बताया कि संस्थान जनपद के तीन ब्लाकों मेहनगर, तरवां और जहानागंज के 60 ग्रामों में बच्चों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर कार्य कर रही है। मार्च 2022 में एक अध्ययन में पाया गया कि परियोजना क्षेत्र में 01 बच्चे ने माता- पिता दोनों को खो दिया दिया है, 108 बच्चों ने पिता को खो दिया है और 54 बच्चों ने माँ को खो दिया है। कुल 167 बच्चे ऐसे हैं जिनको स्थानीय स्तर पर संरक्षण की आवश्यकता है। यह जनपद के मात्र 60 गाँवों की वर्तमान स्थिति है। जनपद के ग्रामों में ग्राम बाल संरक्षण समिति (वीसीपीसी) की नियमित बैठकें नहीं हो पा रहीं हैं, जिसके कारण बच्चों को मुख्यमंत्री बाल कल्याण योजना और स्पांसर योजना का लाभ भी बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। सरकारी आदेश और फण्ड के अभाव में पंचायतें ग्राम स्तर पर ऐसे बच्चों के लिए कोई प्रबन्ध नहीं कर सकीं। जिला पंचायत राज अधिकारी के बाल हित से सम्बंधित इस महत्वपूर्ण आदेश से जनपद के 4101 गाँवों के लगभग 12 लाख बच्चे भविष्य में लाभान्वित हों सकेगें।