इधर-उधर के फेर में शिक्षकों में भारी उहापोह
अम्बेडकरनगर।एकतरफ विद्यालयों में बोर्ड के आदेश पर प्रयोगात्मक परीक्षाओं का आगाज तो दूसरी तरफ माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा शिक्षकों को मूल्यांकन कार्यहेतु विद्यालयों से कार्यमुक्ति का फरमान दिए जाने से जहाँ शिक्षक इधर जाएं कि उधर जायें के ऊहापोह में हैं तो वहीं एक तरफ कुआं तो दूसरी ओर खाईं वाली कहावत चरितार्थ होती दिख रही है।जिनके बीच मूल्यांकन कार्य का प्रभावित होना तय है।
गौरतलब है कि माध्यमिक शिक्षा परिषद,प्रयागराज के तत्वावधान में प्रथम चरण की इंटरमीडिएट की प्रयोगात्मक परीक्षाएं 20 अप्रैल से 27 अप्रैल तक सन्चालित हो रहीं हैं।जबकि मूल्यांकन कार्य भी 23 अप्रैल से प्रारम्भ होकर 02 मई तक प्रस्तावित है।दिलचस्प बात यह है कि जो शिक्षक प्रयोगात्मक परीक्षाओं में आंतरिक व बाह्य परीक्षक नियुक्त हैं वही मूल्यांकन कार्य हेतु भी उप प्रधान परीक्षक और सहायक परीक्षक भी बनाये गए हैं।ऐसे में दोनों कार्य एक ही तय समय पर होना असम्भव है।लिहाजा बोर्ड कस यह तुगलकी फरमान मूल्यांकन पर भारी पडट्स दिख रहा है औरकि शिक्षकों के जी का जंजाल बनकर रह गया है।
मूल्यांकन कार्य और प्रयोगात्मक परीक्षाओं के साथ-साथ आयोजन के बाबत राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अयोध्या मण्डल संयोजक उदयराज मिश्र ने परिषद के फरमानों को तुगलकी करार देते हुए शिक्षकों व शिक्षार्थियों का उत्पीड़न करार दिया है।उन्होंने शिक्षकों को प्रयोगात्मक परीक्षाओं में व्यस्त रहने के कारण मूल्यांकन से कार्यमुक्त करने की मांग की है।