बिहार : हरेराम-हरेकृष्ण के धुन से भक्ति मय हुआ शहर, बाबाजी कुटिया मे उमड़ी भक्तों की भीड़

हरेराम-हरेकृष्ण के धुन से भक्ति मय हुआ शहर, बाबाजी कुटिया मे उमड़ी भक्तों की भीड़
-आज होगा महाअष्याम का समापन,कीर्तन मंडली द्वारा दिखाया गया भक्ति झांकी,भावुक हुए दर्शक
-कई दशक से होता है महाअष्याम,बाबाजी कुटिया में मिलता है स्वर्ग जैसा आनंद
फोटो:-
अररिया
अररिया के स्वर्ग स्थल बाबाजी कुटिया स्थित हनुमान मंदिर में चल रहे अष्टयाम संकीर्तन से पूरे अररिया शहर का वातावरण भक्तिमय है. यह आयोजन आज यानी रविवार तक होगा. अष्टयाम शुरू होने से पूर्व दो दिनों तक कई विद्वानों ने मिल कर रामचरित मानस का पाठ किया. मानस पाठ के बाद से रामधुन संकीर्तन लगातार जारी है. शाम के समय अवर्णनीय हो जाती है. स्थल की शोभा अष्टयाम संकीर्तन के कारण बाबाजी कुटिया में संध्या काल श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है. इससे पूरा शहर के लोग भक्ति के सागर में डूब जाते हैं. इस मे खास बात यह है की कीर्तन मंडली द्वारा देश भक्ति क्षांकी भी दिखाया जा रहा है. जब हजारों की संख्या में महिला, पुरूष व बच्चे हनुमान मंदिर के पावन स्थल पर पहुंचकर रामधुन की रंग में रंग जाते है. मां खड्गेश्वरी काली के साधक  साधक नानु बाबा ने बताया कि इस कुटिया मे कोई दशक से हरे राम हरे कृष्ण संकीर्तन का लगातार आयोजन किया जा रहा है. प्रत्येक वर्ष होने वाले इस अष्टयाम में जिले के कई प्रखंडों से कीर्तन मंडली शामिल होती है. कई कीर्तन मंडली अपने साथ छोटे छोटे बच्चों को भी लेकर आती है और उनका मनमोहक नृत्य माहौल को आकर्षक व भक्तिमय बना देता है.खासकर संध्या काल कीर्तन मंडली में शामिल विभिन्न देवी देवताओं, भूत पिचाश व पवनसुत के वेश में बाल नर्तकों की गतिविधि अष्टयाम में चार चांद लगा देती है. उनके नृत्य पर श्रोता व दर्शक भाव विभोर होकर झूम उठते हैं. बाबा ने बताया कि  रविवार को महअष्टयाम समापन हो जाएगा. जिसके बाद खिचड़ी का महा भंडारा का आयोजन भी किया जाएगा. जिसमें हजारों की संख्या में भक्तगण इस भंडारा का प्रसाद ग्रहण करते हैं.इस महाअष्याम में हजारों भक्त रोजाना भंडारा का प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं.
झांकी देख कर महाअष्याम भावुक हुए पहुंचे दर्शक
जब भी राजा हरिश्चंद्र की बात होती है,तब उनके कर्तव्य की बात सुनते ही लोग भावुक हो जाते है.ऐसा ही बाबाजी कुटिया में हो रहे महाअष्याम में कीर्तन मंडली के द्वारा झांकी पेश किया गया. झांसी के माध्यम से बताया गया कि राजा हरिश्चंद्र ने खुद को बेचा था. वह श्मशान का चंडाल था, जो शवदाह के लिए आए मृतक के परिजन से कर लेकर उन्हें अंतिम संस्कार करने देता था. एक दिन सर्प के काटने से इनके पुत्र की मृत्यु हो गयी तो पत्नी तारा अपने पुत्र को शमशान में अन्तिम संस्कार के लिये लेकर गयी. वहां पर राजा ने रानी से भी कर के लिये आदेश दिया, तभी रानी तारा ने अपनी साड़ी को फाड़कर कर चुकाना चाहा, आसमान में बिजली चमकी तो उस बिजली की रोशनी में हरिश्चंद्र को उस अबला स्त्री का चेहरा नजर आया, वह स्त्री उनकी पत्नी तारामती थी. उसके हाथ में उनके पुत्र रोहित का शव था. अपनी पत्नी की यह दशा व पुत्र के शव को देखकर हरिश्चंद्र बेहद भावुक हो उठे.फिर भी उनकी आंखों में आंसू भरे थे लेकिन फिर भी वह अपने कर्तव्य की रक्षा के लिए आतुर थे.

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