आज़मगढ़: पूर्वांचल शिक्षा संस्थान के संस्थापक डॉ मातबर मिश्र जी के प्रथम स्मृति दिवस पर एक श्रद्धांजलि का आयोजन

पूर्वांचल शिक्षा संस्थान के संस्थापक डॉ मातबर मिश्र जी के प्रथम स्मृति दिवस पर एक श्रद्धांजलि का आयोजन

रिपोर्ट- डाक्टर बिरेन्द्र कुमार सरोज आजमगढ

आजमगढ / पूर्वांचल पी जी कॉलेज रानी की सराय के प्रांगण में दिनांक 22 अप्रैल को पूर्वांचल शिक्षा संस्थान के संस्थापक डॉ मातबर मिश्र जी के प्रथम स्मृति दिवस पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। उक्त सभा में भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अखिलेश मिश्र गुड्डू, डॉ महेश्वरीकांत पांडेय, डॉ सहजानंद पांडेय, डॉ अमरनाथ राय, अशोक अग्रवाल जी विहिप, श्रीयुत दीपक राय, कृष्णकांत मिश्र, राम नरेश यादव, डॉ शशि पाठक, शशांक चतुर्वेदी, डॉ ईश्वर त्रिपाठी, डॉ घनश्याम दुबे, अनामिका पालीवाल, पूनम तिवारी, डॉ प्रतिभा सिंह, डॉ अवनीश अस्थाना समेत स्वर्गीय डॉ मिश्र के शुभचिंतक विभिन्न गणमान्य समाजसेवी एवं शिक्षा सेवी उपस्थित रहे। श्रद्धांजलि सभा में विभिन्न वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर अपने—अपने अनुभव साझा किए। ज्ञातव्य है कि डॉ मातबर मिश्र जी 35 से अधिक वर्षों तक उच्च शिक्षा में अध्यापक रहे। आपका जन्म स्वर्गीय रामसुंदर मिश्र एवं भुवनेश्वरी देवी के पुत्र रूप में हुआ. आपकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा नगर के वेस्ली इंटर कॉलेज में हुई जहां से वह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए बीएचयू गए। आपका चयन जेलर के पद पर हुआ किंतु शिक्षा क्षेत्र में रुझान के कारण आपने ज्वाइन नहीं किया। आपका चयन ADO INDUSTRY पद पर हुआ किंतु शिक्षा जगत के प्रति स्वाभाविक आकर्षण के कारण आपने वह नौकरी भी कुछ ही वर्षों में त्याग दी और जौनपुर जनपद के एक इंटर कॉलेज में भूगोल प्रवक्ता के रूप में अपना शैक्षिक कार्य आरंभ किया। आगे आपने राजा श्री कृष्ण दत्त डिग्री कॉलेज जौनपुर में बी एड विभाग के प्रवक्ता के रूप में कार्य आरंभ किया। यहीं रहते हुए आप ही के प्रयासों से शिक्षा शास्त्र विभाग को एक अलग संकाय के रूप में मान्यता मिली, इसके पूर्व शिक्षा शास्त्र विभाग बी एड विभाग के अधीन होता था। आपके ही अथक प्रयत्नों से शिक्षा शास्त्र विषय में प्रायोगिक कार्यों को सम्मिलित किया गया। शिक्षा शास्त्र विभाग को उत्तर प्रदेश में जो पहचान मिली है, उसके पीछे डॉ मिश्र का एक प्रयास था, इसी कारण शिक्षा शास्त्र विषय के उनके समकालीन लोग उनको शिक्षा शास्त्र विषय का पितामह कहा करते थे।
अपने पी एफ के धन से उन्होंने अपने पैतृक गांव में पूर्वांचल डिग्री कॉलेज की स्थापना की। यदि आज पूर्वांचल शिक्षण संस्थान जनपद के लोगों का सबसे प्रिय शैक्षिक SANSTHAN बना हुआ है तो उसके पीछे डॉ मिश्र के सरल, सहज, मधुर व्यक्तित्व और उनकी शैक्षणिक—साधना ही है।

डॉ मिश्र सदैव हम सभी को प्रेरित करते रहेंगे।

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