इंदरगढ़
प्रभु श्री राम के वन गमन भरत मिलाप का सुनाया प्रसंग
बैसवारा न्यूज़ से दिव्या बाजपेई की रिपोर्ट
इंदरगढ़ थाना क्षेत्र के नई बस्ती ग्राम में चल रही श्री रामचरितमानस में में प्रभु श्री राम के वन गमन का प्रसंग सुनाया गया व्यास पीठ पर आसीन आचार्य मनीष कुमार तिवारी ने भक्तों को प्रभु श्री राम के चरित्र का वर्णन किया उन्होंने बताया कैकई के द्वारा अयोध्या नरेश राजा दशरथ से दो वरदान मांगे थे पहला भरत को राज तिलक दूसरा राम को 14 वर्ष का वनवास माता पिता की आज्ञा लेकर प्रभु श्री राम वन को चले गए गंगा के तट पर नोखा के लिए प्रभु ने केवट से कहा भाई हमें उस गंगा के पार जाना है मांगी नाव न केवट आना कहीं तुम्हार मरम मैं जाना प्रभु के द्वारा विनती की जा रही है केवट सब कुछ जानता है जान कर भी अंजान बना हुआ है बार-बार विनती करने पर केवट ने कहा प्रभु मेरी खिवैया लकड़ी की है क्योंकि आपके पैरों में वह जादू है चरण रज पढ़ते ही नारी बन जाती है हे प्रभु हम आपको नाव में तभी बिठा आएंगे जब तक आप के चरण कमल धो नहीं लेंगे केवट ने कहा प्रभु आप तो भव से बेड़ा पार करने वाले हैं हम तो सिर्फ गंगा पार करने वाले हैं व्यास के मुखारविंद से अमृत रूपी रस का भक्तों ने रसपान किया रामचरितमानस में भाई भाई का प्रेम दर्शाता है भरत जी ने जैसे ही सुना हमारा बड़ा भाई बन को गया है भरत जी मनाने के लिए बन को चल दिए कथा पंडाल में बैठे श्रोता गणों ने अमृत रूपी कथा का रसपान किया कथा सुन भक्तों के नेत्र सृजल हो गए श्री रामचरितमानस में प्रभु मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के आदर्शों को दर्शाया गया है कथा पंडाल में विनीत सिंह सुमित तिवारी टिंकू तिवारी आयुष शुक्ला मनीष सिंह सिसोदिया धनु तिवारी सहित सैकड़ों की संख्या में भक्त मौजूद रहे