भगवान विष्णु के छठवें अवतार हैं परशुराम
भगवान परशुराम की मूर्ति पर माल्यार्पण एवं पूजा पाठ एवं यज्ञ हवन कर, मानव के कल्याण हेतु की गई कामना
आजमगढ़। ब्राह्मण समाज कल्याण परिषद के तत्वावधान में मंगलवार को चंद्रमा ऋषि के आश्रम पर निर्मित भगवान परशुराम के मन्दिर पर पूरे विधि विधान से मनाई गई।भगवान परशुराम की जयंती प्रातःभगवान परशुराम की मूर्ति पर माल्यार्पण, पूजा पाठ एवं यज्ञ हवन का कार्यक्रम प्रकाण्ड विद्वान सभाजीत पाण्डेय द्वारा कराया गया। इसके पश्चात बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित अपर जिलाधिकारी प्रशासन अनिल कुमार मिश्र ने कहा कि जब जब भारत भूमि पर असत्य, अधर्म, अत्याचार बढा है तब तब किसी न किसी रूप में भगवान विष्णु का अवतार हुआ है । शास्त्रोक्त मान्यता के अनुसार भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठवें अवतार हैं । बचपन मे उनका नाम राम था परन्तु भगवान शिव की घोर तपस्या से परशु (फरसा) प्राप्त करने के बाद परशुराम कहलाये।हिन्दू धर्म मे भगवान परशुराम के बारे में मान्यता है कि वे त्रेता युग एवं द्वापर युग से अमर हैं।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ब्राह्मण समाज कल्याण परिषद के अध्यक्ष ब्रजेश नन्दन पाण्डेय ने कहा कि अक्षय तृतीया को भार्गव गोत्र में जन्मे भगवान परशुराम, जमदग्नि ऋषि के पुत्र थे तथा इनकी माता का नाम रेणुका था। भगवान परशुराम का क्रोध सृजनात्मक था।उन्होंने अहंकारी और धृष्ट कार्तवीर्य सहस्रार्जुन का वध करके धरती पर नैतिकता और न्याय का ध्वजारोहण किया। स्व नाम धन्य भगवान परशुराम ने इस मान्यता को प्रतिस्थापित किया कि शास्त्र की रक्षा शस्त्र के माध्यम से ही किया जा सकता है तथा शास्त्र एवं शस्त्र एक दूसरे के पूरक हैं। इस अवसर पर महामंत्री मनोज कुमार त्रिपाठी, विश्व देव उपाध्याय, सतीश मिश्र, निशीथ रंजन तिवारी, रमेश शुक्ला, माधुरी दुबे, मालती मिश्रा, निरुपमा पाठक, मनीषा शुक्ला, गिरिजा सुवन पाण्डेय, बेचन मिश्र, संजीव कुमार पाण्डेय, विजय कुमार शुक्ला, उपेन्द्र दत्त शुक्ला, गोविन्द दूबे, ओम विजय तिवारी, गंगा शकर मिश्र, सुभाष पाण्डेय, रामकवल चतुर्वेदी, विंध्यवासिनी पाठक, राकेश मणि त्रिपाठी, अवधेश उपाध्याय सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे ।