हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
जयराम विद्यापीठ में श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन हुई भक्ति और आस्था पर चर्चा।
कुरुक्षेत्र, 24 मई : श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से ब्रह्मसरोवर के तट पर श्री जयराम विद्यापीठ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन 16 वर्षीय बाल व्यास ब्रह्मरात हरितोष (एकलव्य) महाराज ने व्यासपीठ से भगवान शिव व माता सती का प्रसंग विस्तार से सुनाया ( ध्रुव चरित्र का वर्णन किया)। उन्होंने जड़भरत की कथा, नरक लोक वर्णन, दक्ष राजा की कथा, प्रहलाद चरित्र इत्यादि कथा में चर्चा की। कथा में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया। जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। बाल व्यास ब्रह्मरात हरितोष (एकलव्य) महाराज ने कहा कि परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया। साथ ही प्रह्लाद चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया और बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की। यजमान राम चरण मित्तल, देवी राम मित्तल, सुरेश मित्तल, पवन मित्तल, राज मित्तल, राम विलास मित्तल, नरेश, त्रिलोक मित्तल एवं परिवार के अन्य सदस्यों ने व्यासपीठ पर पूजन एवं आरती की। इस अवसर पर श्रवण गुप्ता, के. के. कौशिक, कुलवंत सैनी, राजेश सिंगला, सतबीर कौशिक, रोहित व यशपाल राणा इत्यादि भी मौजूद थे।
जयराम विद्यापीठ में श्रीमद् भागवत कथा व्यासपीठ पर पूजन करते हुए यजमान एवं कथा श्रवण करते श्रद्धालु।