देहरादून: चंपावत उपचुनाव का मतदान कल संपन्न हो गया है जहां एक और उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने जी जान से चुनाव लड़ा भारतीय जनता पार्टी के बूथ लेवल के कार्यकर्ता से लेकर और बड़े नेताओं ने उपचुनाव में अपने प्रत्याशी के समर्थन में वोट मांगते हुए दिखे। तो वहीं दूसरी ओर कॉन्ग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारक कम कम ही जनता के बीच में दिखे। चंपावत से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े हिमेश खर्कवाल ने पहले तो सीएम के खिलाफ चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और जब कांग्रेस ने चंपावत उपचुनाव में अपना प्रत्याशी निर्मल गहतोड़ी को बनाया तो फिर भी कांग्रेस के नेताओं में चंपावत उपचुनाव को लेकर खासा उत्साह नहीं दिखा।
उत्तराखंड के चंपावत में मंगलवार को हुए उपचुनाव के मतदान में कांग्रेस हथियार डालते हुए दिखाई दी। सुबह से शाम तक ना तो चंपावत और ना ही आसपास के इलाके में कांग्रेस में उत्साह दिखा। ना ही उत्साह बढ़ाने के लिए कोई नेता वहां पर मौजूद था। अकेली निर्मल गहतोड़ी ही कुछ एक बूथ पर घूमती दिखाई दीं। जिसके बाद सवाल खड़े हो गए कि क्या निर्मला गहतोड़ी को भंवर में फंसा कर कांग्रेस के सारे नेता देहरादून लौट गए।
किसी भी नेता का प्रत्याशी बनना आसान हो सकता है। किसी भी नेता का चुनाव लड़ना आसान हो सकता है। लेकिन चुनावी मैनेजमेंट जो बेहतर तरीके से कर ले, उसे ही राजनीति में माहिर नेता कहते हैं। लेकिन उत्तराखंड के चंपावत में हुए उपचुनावों में ना तो प्रचार में कांग्रेस कहीं दिखाई दी और ना ही मतदान वाले दिन कांग्रेस की तरफ से ऐसा लगा कि वह चुनाव लड़ रही है।
हैरानी की बात यह है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जगह-जगह पर लोगों के साथ दिखाई दे रहे थे। बूथों पर खड़े लोगों से बात कर रहे थे। लेकिन कांग्रेसी कहीं दिखाई नहीं दे रहे थे। इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 151 बूथ में से 103 जगह पर कांग्रेस के बस्ते ही नहीं लगे थे। यानी वह बस्ते जो वोटरों को उनके नाम की पर्ची निकाल कर देते हैं। आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि कांग्रेस ने किस तरह से चंपावत चुनाव में शुरुआती दिन से हथियार डाल दिए थे।
चंपावत की तस्वीर मंगलवार को मतदान के दिन ऐसी थी कि कांग्रेस के खुद के वोटर मतदान स्थल के बाहर उन लोगों को ढूंढ रहे थे जो कांग्रेस का डंडा हमेशा से उठाए रहते थे। स्थानीय लोग इस बात को देखकर हैरान थे कि आखिरकार कांग्रेस ने क्यों गंभीरता से चुनाव नहीं लड़ा। क्यों कांग्रेस के तमाम नेता अंतिम समय पर निर्मला को छोड़ कर के अन्य जगहों पर लौट गए। जबकि मुख्यमंत्री और उनका परिवार सहित बीजेपी के कई बड़े नेता आज पूरा दिन चंपावत के अलग-अलग जगहों पर तैनात रहे। सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या जानबूझकर कांग्रेस ने इस चुनाव को हल्के में लिया या फिर कांग्रेस के नेता ही एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
चंपावत उपचुनाव का मतदान मंगलवार को संपन्न हुआ। उपचुनाव में 64 प्रतिशत वोटिंग हुई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चंपावत से बीजेपी के उम्मीदवार हैं। निर्मला गहतोड़ी कांग्रेस की प्रत्याशी हैं। वैसे चंपावत में कुल चार प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। बीजेपी से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कांग्रेस से निर्मला गहतोड़ी, समाजवादी पार्टी से मनोज कुमार भट्ट और निर्दलीय हिमांशु गड़कोटी चुनाव लड़ रहे हैं। चंपावत विधानसभा सीट पर 96,213 मतदाता हैं। इनमें 50,171 पुरुष और 46,042 महिला मतदाता हैं. मतदान सिर्फ 64 फीसदी मतदाताओं ने ही किया है। इस चुनाव का परिणाम 3 जून को आएगा।
अब देखना है कि कांग्रेस पार्टी के नेता क्या ऐसी प्लानिंग बनाते हैं कि आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करेगी या फिर चंपावत उपचुनाव की तरह ही कॉन्ग्रेस प्रदर्शन करेगी यह तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन जिस तरह से कांग्रेस के नेता चंपावत उपचुनाव से दूरी बनाते हुए दिखे कहीं ना कहीं आने वाले चुनाव में भी कांग्रेस के लिए बड़ा सबक बन सकता है।