रमाकांत पांडे ब्यूरो चीफ
अंबेडकर नगर
सरकार के पर्यावरण संरक्षण अभियान को वनविभाग ही लगा रहा पलीता
अंबेडकरनगर प्रदेश की योगी सरकार हर महीने लाखों करोड़ों खर्च करके पर्यावरण संरक्षण के नाम पर पूरे प्रदेश में जो एक अभियान चला रही है उसे अंबेडकरनगर का वन विभाग पलीता दिखाने पर तुला हुआ है ।38 लाख वृक्षारोपण करने का मिला है इस वर्ष लक्ष्य वही पिछले वर्ष 33 लाख वृक्षों को लगाने का मिला था वन विभाग को लक्ष्य 33 लाख पौधों में धरातल पर नहीं दिख रहा हैं 25 प्रतिसत पौधा ,लक्ष्य के सापेक्ष आए हुए बजट का वन विभाग कर रहा है बन्दर बाट।मिली जानकारी के अनुसार जिले के वन विभाग के बड़े साहब का हर महीने का पहुंचने वाला नजराना पर्यावरण संरक्षण अभियान पर भारी पड़ता दिख रहा है जिले में परमिट, टीपी, रिनीवल के नाम पर जिम्मेदारों द्वारा खुली धन उगाही की जा रही है।सूत्र बताते हैं कि तत्कालीन डी एफओ को इस जिले में कहां-कहां से मोटा माल निकल सकता है, यह पता चल गया तो वह अपनी सामान्य कार्यशैली में लौट आये और वनाधिकारियों को खाने कमाने की खुली छूट दे दी जिसमें उनका हिस्सा भी फिक्स हो गया। कमाई के तहत जिले में बनने वाले परमिट के नाम पर प्रति पेंड़ पर की जाने वाली अवैध वसूली हो या फिर टीपी का निर्गतीकरण, अथवा आरा-विनियर के रिनीवल का ही मुद्दा हो, हर तरफ से वनाधिकारी दोनों हांथों से पैसा कमाने में लग गए। पेंड़ों की धड़ल्ले से कटान की जाती है लेकिन विभाग इस दिशा में भी जानबूझकर मौन साधे बैठा है। प्रदेश की योगी सरकार जहां एक ओर भ्रष्टाचार के विरूद्ध अपनी जीरो टालरेंस की नीति को सख्ती से लागू करना चाह रही है वहीं वन विभाग उनकी इस मंशा को पलीता लगाने का काम कर रहा है।
यही वजह है कि भाजपा सरकार में जिले में लकड़ी ठेकेदारों, तस्करों और लकड़कट्टों की तादात में काफी इजाफा हुआ है। नाम न छापने की शर्त पर लकड़ी ठेकेदारों का यहाँ तक कहना है कि साहब तो कहते हैं बस पैसा दे जाओ फिर कुछ भी करो जब तक बड़े साहब और मेरे रिश्तेदार हैं तब तक किसी का डर नहीं कोई शिकायत भी होगी तो सब मैनेज हो जायेगा। रेंजर और डीएफओ मिल कर जिले को दोनों हाथों से लूटने में लगे हुए हैं जिससे प्रदेश सरकार की सर्वत्र थू-थू हो रही है।