संदेश साहित्य परिषद अतरौलिया के तत्वाधान में कवि संगोष्ठी का आयोजन संपन्न

विवेक जायसवाल की रिपोर्ट
अतरौलिया आजमगढ़ संदेश साहित्य परिषद अतरौलिया आजमगढ़ के द्वारा नगर पंचायत अतरौलिया के दुर्गा मंदिर रोड स्थित दयानंद बाल विद्या मंदिर के प्रांगण में एक कवि संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसके मुख्य अतिथि कवि कमला सिंह रहे। अध्यक्षता कवि बजरंग सहाय .रवि. तथा संचालन कार्यक्रम के आयोजक एवं संदेश साहित्य परिषद के अध्यक्ष कवि डा0 राजाराम सिंह ने किया। गोष्ठी में स्थानीय कवियों के अलावा दूरदराज से आए हुए कवियों ने भाग लिया। कवियों ने अपनी रचना से लोगों को खूब लुभाया। संदेश साहित्य परिषद के अध्यक्ष डा0 राजाराम सिंह ने कविता के महत्व को बताते हुए कहा कि कविता मनुष्य से मनुष्य के लिए जन्म लेती है इसलिए कविता में मनुष्य का दुख दर्द उभर कर आना चाहिए। कविता जन पक्षधर होना चाहिए। समाज को दिशा देने की जिम्मेदारी कविता पर है। इसलिए जो कभी समाज में व्याप्त विसंगतियों और अंधविश्वास का विरोध नहीं करता वह अपना कवि धर्म ठीक से नहीं कर सकता।
इसी क्रम में युवा कवि डॉ राजेंद्र प्रसाद यादव ने अपनी रचना प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी।
वजूद की झूठी चाहत ने जीवन को तबाह किया।
वरना सिर्फ कुछ रोटी जीने के लिए काफी है।
कवि विजय प्रताप बूढ़नपुरी ने पत्रकार और साहित्यकार को सचेत करते हुए कहा।
अरे कलम तुम कहां रुक गई राज्यतंत्र के कीचड़ में।
तुमने तो इतिहास लिखा है जंग भरे उस बीहड़ में।
कवि बैजनाथ गंवार ने नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा।
उनकी पिच पर खेल रहे हम एंपायर को झेल रहे हम।
झूठों का है जय जयकारा सच कह करके जेल रहे हम।
कवि महेंद्र -मृदुल- प्रवक्ता उद्योग विद्यालय ने अपनी रचना पेश कर कविता के महत्व को बताया।
आदमी हम बने वो हुनर दे कलम।
इस जहां में असर आज कर दे कलम।
कवि कमला सिंह ,तरकस, ने अपनी रचना पेश कर लोगों को खूब लुभाया।
आन्हर गुरु बहिर सब चेला।
नरको में है ठेली ठेला।
कवि सोहन लाल गुप्त स्नेहिल ने गांव की मिट्टी के महत्व को बताते हुए कहा।
मिटि जाला सारा दु‌ख पिपरा के छांव में।
जाने कवन जादू भरल स्नेहिल के गांव में।
कवि चनरेज राम ,अंबुज ,ने नेताओं के दो रंगी चाल को बताते हुए कहा।
लोकलुभावन वादा करके बात बदलते नेताजी। जाति धर्म की बातें करके आग उगलते नेताजी।
कार्यक्रम के आयोजक कवि डॉ राजाराम सिंह ने अपनी कविता प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज के युग में सच बोलना कितना खतरनाक है।
तुम उकसाओ मुझे ताकि सच बोलूं और मर जाऊं।
कवि लाल बहादुर चौरसिया ,लाल, ने अपनी रचना प्रस्तुत की।
वह तो मेरा खास बहुत है।
आशा कम विश्वास बहुत है।
इसी प्रकार कवि राजनाथ राज, कवि रोहित राही , कवि जय हिंद सिंह ,हिन्द, ने अपनी रचना पेश कर लोगों को खूब लुभाया।
वरिष्ठ संवाददाता विवेक जायसवाल की रिपोर्ट

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