टी.बी.मरीजों को गोद लेने के लिए आगे आएं सम्पन्न लोग : जिला क्षय रोग अधिकारी
👉गोद लिए गए टी.बी.मरीजों को विभाग मुहैया कराता रहेगा जरूरी सुविधाएँ*
कन्नौज ,
क्षय रोग से मुक्ति के लिए रोगियों को उचित पोषण देने के प्रयास में शासन द्वारा कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। इस दिशा में निरंतर कई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में शासन द्वारा एक नई “एडाप्ट पीपल विद टी.बी.” योजना शुरू की गई है। इसके तहत अब निजी संस्थाएं, उद्योगपति, जनप्रतिनिधि व कोई भी व्यक्ति किसी भी ब्लॉक, वार्ड या गांव के टी.बी. मरीजों को गोद ले सकेंगे। ऐसे व्यक्ति गोद लिए हुए मरीजों को पोषक आहार, उपचार दिलाने में सहायता कर सकेंगे। इसके अलावा उन्हें यह भी देखना होगा कि समाज में ऐसे मरीजों के साथ कोई भेदभाव न हो, । जिससे मरीज की सामाजिक, मानसिक और शारीरिक स्थिति मजबूत हो। यह बताया जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ.जेजे राम ने।
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि टी.बी. का इलाज लगभग छह महीने चलता है। इस दौरान मरीज को खान-पान पर विशेष ध्यान रखना होता है। इससे उसके अंदर संक्रमण से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। सही खानपान न होने, इलाज पूरा न होने और सही समय पर दवा न खाने से मरीज के अंदर टी.बी. के वैक्टीरिया खत्म नहीं होते। ऐसे में गोद लेने की यह पहल सार्थक कदम है। यह योजना टी.बी. मुक्त अभियान में बड़ा योगदान देगी।
उन्होंने बताया कि टी.बी. से पीड़ित मरीजों को अपनाने का यह अभियान इसी माह शुरू किया जा रहा है।इसके लिए तैयारियां चल रही हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि योजना के तहत गोद लिए गए टी.बी.मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जिले में उच्च स्तरीय अधिकारियों, समाजसेवी के अलावा मानव सेवा समिति कन्नौज,उ.प्र.उद्योग व्यापार मण्डल कन्नौज, रामवती एवं चेतराम चतुर्वेदी मेमोरियल सहायता समिति मवई विलवारी कन्नौज जैसी कई स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा एक से अधिक बच्चों को गोद लिया गया है। यह संस्थाएं प्रतिमाह गोद लिए बच्चों को नि:शुल्क पोषाहार उपलब्ध कराती है।
उन्होंने बताया कि जिले में टी.बी मरीजों की संख्या 1368 है। इसमें 76 मरीज एमडीआर के, 18वर्ष से कम उम्र के 84 बच्चे व एक मरीज एक्सडीआर का है।
जिला कार्यक्रम समन्वयक अखिलेश यादव ने बताया कि पुरानी व्यवस्था के तहत टी.बी.के मरीजों को व्यक्तिगत या एनजीओ के माध्यम से ही गोद लिया जाता था। अब संपन्न व्यक्तियों की मदद से एक या दो नहीं बल्कि पूरे वार्ड, ब्लॉक या गांव के टी.बी. मरीजों को गोद लेने का काम किया जाएगा।इसके लिए स्वयंसेवी संस्थानों, उद्योगपतियों, जनप्रतिनिधियों, उच्च शिक्षण संस्थानों व राजनीति दलों से संपर्क कर उन्हें टी.बी. मरीजों को गोद लेने के लिए प्रेरित किया जायेगा।