हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र, 16 जून : शरीर, वाणी और चित्त के मल व विकारों की शुद्धि करते हुए आत्मानुभूति को संपन्न करना तथा इसके माध्यम से परम पिता परमात्मा का साक्षात्कार करने के लिए सनातन भारतीय ऋषियों ने अतीत में आयुर्वेद, व्याकरण और योगसूत्रों की रचना की है! समकालीन युवाओं, विशेषकर छात्रों की शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक जरुरतों को ध्यान में रखते हुए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के भीम छात्रावास में दर्शनशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. शीलक राम के मार्गदर्शन में सुबह 6 बजे से 7 बजे तक योगाभ्यास करवाया गया!
बारिश होने की वजह से छात्रावास की मैस में ही रीढ की हड्डी को मजबूती प्रदान करने के लिए मार्जारि आसन, मर्कटासन,सर्पासन, भुजंगासन, वक्रासन, भू नमनासन का अभ्यास करवाया गया। इसके साथ-साथ मानसिक शांति के लिए भ्रामरी प्राणायाम व न्यास ध्यान का अभ्यास भी करवाया गया! आज योग शिविर के तीसरे दिन डॉ. अशोक शर्मा, डॉ. ओम प्रकाश ठाकुर,विद्यार्थियों एवं मैस कर्मचारियों ने योग साधना की।