रिर्पोट पदमाकर पाठक
आरबीएसके टीम के प्रयास से पल्लवी को मिली नई जिंदगी
गर्भवती बिना चिकित्सीय सलाह के किसी भी एंटीबायोटिक के उपयोग से बचें।
आजमगढ़।न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट दिमाग और रीढ़ की हड्डी की जन्मजात विकृति है। यह तब होती है, जब दिमाग और रीढ़ की हड्डी में ऐसा विकार बन जाये कि वह पूर्ण रूप से बंद होने में विफल हो जाये। न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट गर्भावस्था के पहले पाँच हफ्तों में ही विकसित हो जाता है। उचित देखभाल से स्वस्थ बच्चे का जन्म हो सकता है।अगर सतर्क रहेंगे तो इस बीमारी से बच सकते हैं।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आईएन तिवारी ने बताया कि नर्वस सिस्टम मानव शरीर की बेहद महत्वपूर्ण सरंचना है। जोकि भ्रूण चरण में सबसे पहले विकसित होती है। इन अंगों की शुरुआत छोटे ऊतक के रूप में होती है जो न्यूरल ट्यूब कहलाते हैं। न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट होने पर यह भ्रूण के महत्वपूर्ण अंगों दिमाग, रीढ़ की हड्डी और नसों को प्रभावित करता है। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एके सिंह ने बताया कि न्यूरल बर्थ डिफेक्ट बहुत ही आम बात है तकरीबन 1000 बच्चों में से एक बच्चे की न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के साथ पैदा होने की संभावना होती है। गर्भवती गर्भावस्था के दौरान आयरन और फॉलिक एसिड का सेवन नियमानुसार करें। साथ ही सेम, हरी मटर, मसूर, पालक, गेंहू, मूँगफली, सूरजमुखी के बीज, संतरा और उसके रस का सेवन करें तो इस गम्भीर बीमारी से बचा जा सकता है। गर्भवती बिना चिकित्सीय सलाह के किसी भी एंटीबायोटिक के उपयोग करने से अवश्य बचें।
डीईआईसी के मैनेजर डॉ आरिफ जमाल ने बताया कि जिन औरतों को गर्भावस्था के दौरान हाई डायबिटीज़ की शिकायत हो जाती है उनमें इस बात की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है कि उनका शिशु न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट के साथ जन्म लेगा क्योंकि जो जीन्स इस तरह की परिस्थिति के लिए ज़िम्मेदार होते हैं वह डायबिटीज़ से प्रभावित होते हैं। कई बार कुछ मेडिकेशन भ्रूण के अंगों के विकास में बाधा उत्पन्न करते हैं। गर्भावस्था में दी जाने वाली कुछ दवाएं इस बात की संभावना को बढ़ा देती हैं।न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का एक बड़ा कारण धूम्रपान भी होता है। निकोटीन और धुंआ माँ के शरीर से फोलेट को नष्ट कर देता है।
ठेकमा ब्लॉक अन्तर्गत तम्मरपुर गाँव निवासी धर्मेंद्र राजभर ने बताया कि हमारी पुत्री पल्लवी का जन्म 10 दिसम्बर सन 2014 को सरकारी अस्पताल में हुआ था। जन्म के बाद रीढ़ की हड्डी में फोड़ा देखकर पूरा परिवार सहम गया। पल्लवी की स्थिति को देखकर परिवार गम में डूबा हुआ था। सन 2020 तक पल्लवी बिल्कुल चल नहीं पाती थी। उसी समय आशा के माध्यम से पल्लवी को मंडलीय जिला चिकित्सालय में डॉ को दिखाया गया।जांच करने के बाद डॉ ने पल्लवी को आरबीएसके टीम को रेफर कर दिया। डीईआईसी के मैनेजर डॉ आरिफ़ जमाल ने सारी औपचारिकताओं को पूरा कराते हुये, पल्लवी का आपरेशन तीन महीने बाद डॉ राम मनोहल लोहिया चिकित्सालय, लखनऊ में करा दिया।जोकि सफल रहा और पूर्णतः निःशुल्क था। पल्लवी अब धीरे-धीरे सहारे से चल लेती है, डॉ ने बताया कि आने वाले समय में पल्लवी धीरे-धीरे ठीक हो जायेगी। आपरेशन होने बाद पल्लवी के परिवार वालों ने स्वास्थ्य विभाग और आरबीएसके की टीम को धन्यबाद ज्ञापित किया।