हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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संस्कृत भाषा का अखण्ड प्रवाह सहस्र वर्षों से बहता चला आ रहा है।
कुरुक्षेत्र, 10 जुलाई : देशभर में अध्यात्म, शिक्षा, विज्ञान, गौ संरक्षण, स्वास्थ्य, योग एवं भारतीय संस्कृति व संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष एवं श्री जयराम शिक्षण संस्थान के चेयरमैन ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के मार्गदर्शन में गतिमान श्री जयराम विद्यापीठ में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में हरियाणा संस्कृत अकादमी द्वारा संस्कृत संभाषण शिविर का आयोजन किया गया है। विद्यापीठ के गीता शोध केंद्र में 15 जुलाई तक चलने वाले संस्कृत संभाषण शिविर के चौथे दिन प्राचार्य प. रणबीर भारद्वाज ने कहा कि जिस प्रकार देवता अमर हैं उसी प्रकार संस्कृत भाषा भी अपने विशाल-साहित्य, लोक हित की भावना, विभिन्न प्रयासों तथा उपसर्गों के द्वारा नवीन-नवीन शब्दों के निर्माण की क्षमता आदि से अमर है। उन्होंने बताया कि आधुनिक विद्वानों के अनुसार संस्कृत भाषा का अखण्ड प्रवाह पाँच सहस्र वर्षों से बहता चला आ रहा है। आज भी सभी क्षेत्रों में इस भाषा के द्वारा ग्रन्थ निर्माण की क्षीण धारा अविच्छिन्न रूप से बह रही है। प. रणबीर भारद्वाज ने कहा कि संस्कृत मानव सभ्यता के प्राचीन इतिहास से जुड़ी विश्व की प्राचीन भाषा है जो कि आधुनिक भाषा के रूप में सर्वथा सार्थक है।
संस्कृत भाषा को लोकप्रिय एवं हर व्यक्ति के जीवन की आवश्यकता बनानी चाहिए। तभी लोग संस्कृत के प्रति अपना उत्साह दिखाएंगे। आज के भौतिकवादी युग में संस्कृत भाषा को सबसे विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है परन्तु हमेशा ही आम लोगों के प्रोत्साहन एवं विश्वास के कारण यह समृद्ध भाषा रही है। प. रणबीर भारद्वाज ने कहा कि आधुनिक शिक्षा त्वरित एवं तकनीकी माध्यम पर आधारित हो गई है। हमें भी शिक्षा के क्षेत्र में सभी पहलुओं पर आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए। संस्कृत शिक्षण को भी इसी के अनुरूप बनाना चाहिए। संस्कृत को संस्कृत भाषा के माध्यम से ही पढ़ाना चाहिए। विद्यार्थियों में संस्कृत शिक्षा के प्रति लगाव बढ़ाने के लिए संस्कृत को सरल एवं लोकप्रिय पाठ्यक्रम सामग्री से युक्त किया जाना चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक एवं प्रयोगात्मक शिक्षा का महत्व बढ़ता जा रहा है। संस्कृत भाषा में विषयवस्तु प्राचीन काल से ही निहित है। इस अवसर पर प्राध्यापक आचार्य प. राजेश प्रसाद लेखवार एवं संजय कुमार ने भी विचार रखे।
संस्कृत संभाषण शिविर में भाग लेते हुए विद्यार्थी।