जिले में महज 20 फ़ीसदी ही धान की रोपाई हो पाई
पूर्वांचल ब्यूरो
आषाढ़ माह गुजर गया जिले में महज 20 फ़ीसदी ही धान की रोपाई हो पाई है। मेघों के रुठ जाने से खरीफ की अन्य फसलों की बुवाई प्रभावित हो गई है। किसान अभी तक पशुओं के लिए चारा, अरहर, तिल मूंग और उड़द की भी बुवाई नहीं कर पाए हैं।
बढ़ते तापमान के कारण ज्वार बाजरा की भी बुवाई क्या खो गई है। जुलाई महीने में ही जिले का अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेंटीग्रेट पर टिका हुआ है। वहीं न्यूनतम तापमान भी 29 डिग्री सेंटीग्रेट पर बना हुआ है। जिले में जून और जुलाई माह में 340 मिली मीटर वर्षा होनी चाहिए, लेकिन अभी तक मात्र 91 मिली मीटर ही बरसात हुई है। पहाड़ी नदियों एवं तालाबों में भी अपेक्षित पानी नहीं जुट पाया है। पहाड़ी इलाके में अभी भी पेयजल संकट से ग्रामीणों को जूझना पड़ रहा है।
जिले में मानसून की बरसात 10 जून के बाद शुरू हो जाती है, लेकिन इस वर्ष जून के महीने में भी अपेक्षित बरसात नहीं हुई। कृषि विभाग के मुताबिक जून महीने में मात्र 66 मिली मीटर वर्षा रिकार्ड की गई। वहीं जुलाई माह में भी अभी तक मात्र 25 मिलीमीटर बरसात हुई है। बादलों के रुठ जाने से अन्नदाता खासे परेशान है। जिले में सूखे का असर देख किसान अभी तक धान की रोपाई भी नहीं शुरू कर पाए। जिन किसानों के पास खुद की सिंचाई की व्यवस्था थी। वह किसी तरह थोड़ा बहुत धान की रोपाई कर पाए हैं, अन्यथा किसानों के खेत में डाली गई धान की नर्सरी भी वर्षा न होने से सूखने की कगार पर पहुंच गई। स्थिति यह है कि अभी तक जिले में मात्र 20 फ़ीसदी ही धान की रोपाई हो पाई है। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष 80 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई होनी थी। बारिश न होने से अभी तक महज 16000 हेक्टेयर में धान की रोपाई हो पाई है। जिले में अभी भी 64000 हेक्टेयर में धान की रोपाई होनी है। बरसात के इंतजार में किसान धान की नर्सरी की सिंचाई कर किसी तरह से रोपाई के लिए पौधों को जिंदा रखे हुए है। जिला कृषि अधिकारी पवन कुमार प्रजापति का कहना है कि अगर शीघ्र बरसात ना हुई तो धान की रोपाई प्रभावित हो जाएगी।