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कुरुक्षेत्र : कलयुग के दधीचि ऋषि बनकर कुरुक्षेत्र सेक्टर 7 निवासी भगवान दास सेतिया ने मानव सेवा का संदेश दिया है। 84 वर्षीय भगवान दास कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र से सहायक रजिस्ट्रार के पद से सेवानिवृत्त हैं। उन्होंने जीवन के अन्तिम पड़ाव पर देहदान का फैसला लिया है जो समाज के लिए नजीर बनेगा।
शनिवार को उनके बेटे मनोज सेतिया द्वारा श्रीकृष्णा आयुष विवि के आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं अस्पताल के प्राचार्य डॉ. देवेंद्र खुराना को शपथ पत्र सौंपा। भगवान दास सेतिया ने बताया कि उनकी देहदान की इच्छा शुरू से थी। मगर पारिवारिक कामकाज के चलते यह कार्य देरी से हो पा रहा है। मृत्यु के बाद भी उनका शरीर भावी डॉक्टरों के शैक्षणिक और शोध कार्य के लिए उपयोग में लाया जा सके। इससे बड़ा धरती का स्वर्ग ओर कुछ भी नहीं हो सकता। व्यक्ति की हर गतिविधि समाज से जुड़ी है। एक दूसरे के सहयोग से यह संसार चल रहा है। अतः जीवन के अन्तिम पड़ाव में यह देह समाज कार्य में ही लगनी चाहिए।
प्राचार्य डॉ. देवेंद्र खुराना ने भगवान दास सेतिया का उनके इस नेक कार्य के लिए अभिवादन किया और कहा कि अंग दान महादान है। इससे ओर लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी। भविष्य में अंगदानियों और देहदानियों की बड़ी संख्या में आवश्यकता है। ताकि किसी दुर्घटना में अंग खोने वाले व्यक्ति की अंग प्रत्यारोपण द्वारा जिंदगी बचाई जा सकती है। इस मौके पर शारीर रचना विभाग के सहायक प्रो. डॉ. सचिन शर्मा और प्रोफेसर डॉ. प्रेमचंद मंगल मौजूद रहे।