गुरु का योग्य होना उतना ही आवश्यक है, जितना शिष्य का : महामंडलेश्वर विद्यागिरि।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र पिहोवा 26 फरवरी :- पिहोवा के अरुणाय मार्ग पर स्थित गांव धनिरामपुरा में पिछले 5 दिनों से चल रहा 18 वां माँ बगलामुखी महायज्ञ सवा 5 लाख आहुतियों , संत महात्माओं के प्रवचन , सैंकड़ों कन्याओं के पूजन एवं विशाल भण्डारे के साथ सम्पन्न हुआ। यज्ञाचार्य पण्डित अभिषेक कुश सहित 41 विद्वान ब्राह्मणों ने पूरे विधि विधान व मंत्रोच्चारण के साथ सभी यजमानों से पूर्णाहुति डलवाई गई।
महायज्ञ में कालेआम से मनीष कौशिक, वीरेंद्र शर्मा, हंस राज, विक्रम शर्मा, संजीव त्रेहान, इंद्रपाल गिरधर व अवतार वालिया सहित हरियाणा , पंजाब, हिमाचल , गुजरात, दिल्ली, उत्तराखंड से शामिल हुए सैंकड़ों श्रद्धालुओं द्वारा सवा 5 लाख आहुतियां डाल कर अपने सुखमय जीवन की कामना की गई ।
कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन भारत भूषण भारती, पूर्व मंत्री हरमोहिंदर सिंह चट्ठा , विकास सहारण, विधायक मदन लाल, शिव सेना अध्यक्ष पवन गुप्ता, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के प्रवक्ता महन्त दीपक गिरि सहित अनेक गणमान्य जनो ने भाग लिया।
यज्ञशाला सहित पूरा पंडाल माँ पीताम्बरा के पीले रंग में दिखाई दे रहा था। संत महामंडल की अध्यक्ष महामंडलेश्वर 1008 विद्यागिरि जी महाराज ने गुरु की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरु को ब्रह्म से भी अधिक महत्व किया गया है। गुरु को प्रेरक प्रथम आभास देने वाला सच्ची लौ जगाने वाला और कुशल आखेटक कहा गया है ।
गुरु की प्राप्ति द्वारा साधक के ह्रदय से संशय व आशंका की भावनाएं समाप्त हो जाती है। गुरु का योग्य होना उतना ही आवश्यक है जितना कि शिष्य का।क्योंकि यदि गुरु स्यवं ही अयोग्य होगा तो वह तो शिष्य को ही ले डूबेगा।
महन्त बंशी पुरी जी महाराज ने कहा कि गांव धनिरामपुरा में हरियाणा पंजाब दिल्ली के मध्य स्थित माँ बगलामुखी की यह एकमात्र सिद्ध पीठ है, जिसे वैदिक मंत्रों व तांत्रिक विद्याओं द्वारा स्थापित किया गया था। श्री पंच दशनाम जुना अखाड़ा के प्रवक्ता महन्त दीपक गिरि ने कहा कि हिन्दू धर्म मे पूजा पाठ का विशेष महत्व है।
महन्त भीम पुरी , स्वामी महेश पुरी ने आये हुए सभी मुख्यातिथियों , संत महात्माओं व गणमान्यजनों का आभार व्यक्त कर उन्हें प्रशाद भेंट किया।
इस अवसर पर षड्दर्शन साधुसमाज के अध्यक्ष परमहंस ज्ञानेश्वर महाराज महासचिव महन्त ईश्वर दास, कोषाध्यक्ष महन्त महेश मुनि, प्रेस सचिव वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, स्वामी चमन गिरि, स्वामी लाल गिरि, गोविन्दा नंद आश्रम की महन्त सर्वेश्वरी गिरि , स्वामी जगन्नाथपुरी, स्वामी अनूप गिरि, महन्त विशाल दास, महन्त अरविंद दास, महन्त महावीर दास, महन्त दीपक गिरि, स्वामी खड़ंग पुरी, नरेश चक्रपाणि इत्यादि काफी संख्या में संत महात्मा उपस्थित रहे।