कड़ी मेहनत कर हम बने भाग्य विधाता… 15 अगस्त की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति मुर्मू का संदेश
देश में स्वतंत्रता दिवस के 75 साल पूरे होने के मौके पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. ऐसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का ये संबोधन कई मायनों में खास है. हाल ही में राष्ट्रपति पद संभालने के बाद ये पहला मौका है, जब द्रौपदी मुर्मू राष्ट्र को संबोधित कर रही हैं.
भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज रविवार शाम राष्ट्र को संबोधित किया. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि एक स्वाधीन देश के रूप में भारत 75 साल पूरे कर रहा है. 14 अगस्त के दिन को विभाजन-विभीषिका स्मृति-दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. इस स्मृति दिवस को मनाने का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, मानव सशक्तीकरण और एकता को बढ़ावा देना है. 15 अगस्त 1947 के दिन हमने औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों को काट दिया था. उस दिन हमने अपनी नियति को नया स्वरूप देने का निर्णय लिया था. उस शुभ-दिवस की वर्षगांठ मनाते हुए हम लोग सभी स्वाधीनता सेनानियों को सादर नमन करते हैं. उन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया ताकि हम सब एक स्वाधीन भारत में सांस ले सकें.
उन्होंने कहा, “भारत की आजादी हमारे साथ-साथ विश्व में लोकतंत्र के हर समर्थक के लिए उत्सव का विषय है. जब भारत स्वाधीन हुआ तो अनेक अंतरराष्ट्रीय नेताओं और विचारकों ने हमारी लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली की सफलता के विषय में आशंका व्यक्त की थी. उनकी इस आशंका के कई कारण भी थे. उन दिनों लोकतंत्र आर्थिक रूप से उन्नत राष्ट्रों तक ही सीमित था. विदेशी शासकों ने वर्षों तक भारत का शोषण किया था. इस कारण भारत के लोग गरीबी और अशिक्षा से जूझ रहे थे. लेकिन भारतवासियों ने उन लोगों की आशंकाओं को गलत साबित कर दिया. भारत की मिट्टी में लोकतंत्र की जड़ें लगातार गहरी और मजबूत होती गईं.”