आज़मगढ़: छोटा परिवार, खुशियाँ हैं अपार

रिपोर्ट पदमाकर पाठक

छोटा परिवार, खुशियाँ हैं अपार।

परिवार नियोजन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आशा कार्यकर्ता करती हैं गृह भ्रमण दम्पति को करती हैं जागरूक, दिलाती है मनपसंद परिवार नियोजन की सुविधा।

आजमगढ़। 18 अगस्त 2022
आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ मानी जाती हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी व सुविधा जन-जन तक पहुंचाती हैं, सरकार द्वारा परिवार नियोजन के जो कार्यक्रम चलाये जाते हैं उसमें आशा व आशा संगिनी की बेहद अहम भूमिका रहती है। इनके द्वारा किए जा रहे प्रयास से ही जागरूकता के कारण मातृ-मृत्यु और शिशु मृत्यु-दर को कम किया जा सकता है।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आईएन तिवारी का ने बताया कि जिले में कुल 3980 आशा एवं 156 आशा संगिनी गृह भ्रमण के दौरान दम्पति को परिवार नियोजन के लाभ बताते हुए कोई न कोई साधन लेने के लिए प्रेरित करती हैं। आशा कार्यकर्त्ता जिसके चार या पाँच बच्चे होते हैं, उन लोगों को पुरुष नसबंदी को लेकर भी जागरूक करती हैं। योग्य दम्पति की काउंसिलिंग भी करती हैं। इस दौरान दो बच्चों के बीच तीन साल का अंतराल रखने के लिए जागरूक करती हैं, इससे वह भविष्य में होने वाली किसी भी बीमारी से लड़ने में सक्षम रहती हैं। जिला कम्यूनिटी प्रबन्धक विपिन पाठक ने बताया कि आशा कार्यकर्ता को परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत प्रोत्साहन राशि दी जाती है – जैसे शादी के बाद पहले बच्चे में दो साल के अंतराल पर 500 रुपये, पहले और दूसरे बच्चे के बीच तीन वर्ष के अंतराल पर 500 रुपये, दो बच्चों के बाद स्थाई नसबंदी पर 1000 रुपये, पीपीईयूसीडी पर 150 रुपये आशा कार्यकर्ता को पुरुष नसबंदी पर 400 रुपये व महिला नसबंदी पर 300 रुपये और अंतरा इंजेक्शन पर 100 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दिये जाते हैं। ब्लॉक अतरौलीया की कंचन पांडे बताती हैं कि हम सभी आशा कार्यकर्ता लोगों को पुरुष नसबंदी को लेकर भी जागरूक कर रही हूँ, लोगों को बताते हैं कि पुरुष नसबंदी कराने से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है, साथ ही महिलाओं के बंध्याकरण के मुकाबले यह काफी आसान भी है। अपने टीम की 20 आशा के साथ गृह-भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ता लोगों को परिवार नियोजन के प्रति जागरूक भी करते है। उन्हें परिवार नियोजन से होने वाले फायदे के बारे में बताते है। जनवरी 2022 से आज तक लोग को परिवार नियोजन के प्रति जागरूक कर स्थायी व अस्थायी सुविधाओं का पूरा लाभ उठा रहे हैं। अस्थायी साधनों में महिला नसबंदी 34 महिलाएं, अन्तरा 7, छाया 23,माला-एन 22, कंडोम 488,पीपीईयूसीडी 35 जैसी सुविधाओं का लाभ उठा रही हैं।
लाभार्थी को प्रतिपूर्ति राशि – पुरुष नसबंदी वाले लाभार्थियों को 3000 रुपये व महिला नसबंदी के लाभार्थियों को 2000 रुपये की प्रतिपूर्ति राशि दी जाती है। साथ ही अंतरा इंजेक्शन के लाभार्थियों को 100 रुपये दिया जाता है।
प्राविधान – नसबंदी के विफल होने पर 60,000 रुपए की धनराशि दी जाती है। नसबंदी के बाद सात दिनों के अंदर मृत्यु हो जाने पर चार लाख रुपए की धनराशि दी जाती है। नसबंदी के 8 से 30 दिन के अंदर मृत्यु हो जाने पर 1,00000 रुपए की धनराशि दिये जाने का प्रावधान है। नसबंदी के बाद 60 दिनों के अंदर जटिलता होने पर इलाज के लिए 50,000 रुपए की धनराशि दी जाती है। उपकेंद्र लोहरा से 34 वर्षीय सीमा सिंह ने कहा कि मेरे तीन बच्चे हैं,मेरी तबीयत ठीक नहीं रहती है। मेरे दो बच्चे कुपोषित हो गये थे। आशा रेखा ने हमें समझाया कि तीन बच्चे हैं जिसका भरण पोषण भी ठीक से नहीं हो पा रहा है, नसबंदी करा लो। मैंने नसबंदी कराया मेरा स्वास्थ्य भी अब ठीक रहता है, आज मैं बिलकुल स्वस्थ और खुश हूँ।

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