हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
कुरुक्षेत्र : यह बात सर्वजातीय सर्व खाप महिला महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संतोष दहिया ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही। उन्होंने कहा कि कुछ महिलाएं अपने स्वार्थ में इतनी अंधी हो जाती हैं जिन्हें कुछ भी दिखाई नहीं देता और जिसका खामियाजा परिवार को भुगतना पड़ता है। डॉ. संतोष दहिया ने कहा राजनीति में जाने की इच्छा गलत नहीं है लेकिन उसके लिए गलत तरीकों को अपनाना उन्हें अंधेरे की तरफ धकेल देता है। राजनीति में महिलाओं के लिए रास्ता आम नहीं है बल्कि इस रास्ते के लिए महिलाओं को बहुत मेहनत करनी पड़ती है लेकिन कुछ महिलाएं गलत रास्ते अख्तियार कर लेती हैं जो किसी भी सूरत में मंजूर नहीं होना चाहिए क्योंकि आने वाली पीढ़ियों पर इसका असर पड़ना लाजिमी है। उन्होंने महिलाओं को चेतावनी देते हुए कहा कि जो महिलाएं “सब कुछ दाव पर लगाकर केवल आगे बढ़ने की चाहत रखती हैं”। उन्हें इन कुछ घटनाओं को याद करके सचेत हो जाना चाहिए क्योंकि यह दौड़ मरुस्थल के पानी जैसी है, जहां जितना मर्जी दौड़ ले, हासिल कुछ नहीं होगा। भंवरी देवी, नैना साहनी, शिवानी भटनागर, मधुमिता मिश्रा, अनुराधा, जय ललिता और अब सोनाली फोगाट। ये केवल कुछ नाम है जो चर्चा में आए लेकिन ऐसे और भी कई गुमनाम चेहरे है जिनका जिक्र नहीं हुआ लेकिन राजनीति से जुडी अनेक महिलाएं हैं जिनकी मौत पर संदेह किया गया है। मैं उन महिलाओं को सचेत करना चाहती हूं जो महिलाएं आगे बढ़ने की चाहत तो रखती हैं लेकिन मेहनत नहीं करना चाहती और किसी गलत रास्ते अपना लेती हैं। डॉ. संतोष दहिया ने महिलाओं को जागरूक करते हुए कहा कि किसी दूसरों के झांसे में आकर… खुद को, अपने परिवार और समाज के अस्तित्व को कभी भी दाव पर मत लगाना।क्योंकि जब मुसीबत आती है तब ये अपने लोग ही आपके साथ खड़े दिखाई देते है। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि जीवन एक ही बार मिलता है और जीवन केवल सही रास्ते पर चलने के लिए मिलता है, व्यक्ति को सही रास्ते पर चलकर संघर्ष कर लोगों की मदद करने के लिए ही कोशिश करनी चाहिए, स्वार्थ में अंधा नहीं होना चाहिए।
अक्सर देखा जाता है कि जब लोग मरते हैं तब (चाहे वह कितना ही खराब क्यों ना हो) सब अफसोस ही करते हैं, उसे गालियां नहीं दी जाती।लेकिन कुछ लोगों की मौत पर मैंने लोगों को गालियां देते हुए भी देखा है। इसलिए ऐसा कुछ भी ना करें जिससे आप खुद की नजरों में, परिवार की नजरों में और समाज की नजरों में गिर जाओ। क्योंकि ये पद – प्रतिष्ठा पानी के बुलबुले जैसा होता है। यहां सब कुछ नश्वर है। किसी से प्रतिस्पर्धा करना, नाम और प्रतिष्ठा के लिए आगे बढ़ने की इच्छा रखना गलत बात नहीं है लेकिन अपनी मर्यादा, संस्कृति, परंपराओं के साथ-साथ, अपनों को भी साथ लेकर आगे बढ़ने की कोशिश करें, कोई भी आप पर उंगली नहीं उठाएगा।