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हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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विदेश में पैदा होकर भारतीय परिवारों के बच्चे भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों से जुड़ना चाहते हैं।
कनाडा से परिवार के सदस्य प्रेरणा वृद्धाश्रम को देखने और वृद्धों से मिलकर उनका आशीर्वाद लेने आश्रम में पहुंचे।
कुरुक्षेत्र, 31 अगस्त : विदेशों में जा कर भी लोग भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए हैं और उस समय अधिक गर्व होता है जब विदेश में पैदा होकर भारतीय परिवारों के बच्चे भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों से जुड़ना चाहते हैं। ऐसा ही एक नजारा कुरुक्षेत्र के प्रेरणा वृद्धाश्रम में देखने को मिला। कनाडा से एक परिवार विशेष तौर पर प्रेरणा वृद्धाश्रम को देखने और वृद्धों से मिलकर उनका आशीर्वाद लेने आश्रम में पहुंचा। कनाडा से आए लोगों में डा. शिवानी खुल्लर, उनकी पुत्री दीक्षा खुल्लर एवं पुत्र शिवांश खुल्लर शामिल थे। डा. शिवानी खुल्लर कुरुक्षेत्र के निवासी डा.एम.के.कौशल की बेटी हैं। इस मौके पर डा. शिवानी खुल्लर और उनके परिवार की भावनाएं जानकर प्रेरणा के संस्थापक जय भगवान सिंगला एवं अध्यक्षा रेणु खुंगर सहित अन्य सदस्यों ने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। खुल्लर परिवार ने सर्वप्रथम मंदिर में पूजा अर्चना की और प्रेरणा वृद्धाश्रम के परिसर में बने शहीदी स्मारक पर शहीदों को श्रद्धा पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। साथ ही पूरे आश्रम का अवलोकन किया। आश्रम में रहने वाले बुजुर्गों को फल वितरित किए और उपहार भी दिए। कनाडा में पैदा हुए दीक्षा खुल्लर एवं शिवांश खुल्लर आश्रम को देखकर भाव विभोर हो गए और कहने लगे कि इतने सुंदर सुव्यवस्थित हरा भरा प्रांगण है वह तो हमारे कनाडा के वृद्धाश्रम में भी देखने को नहीं मिलता। उन्होंने बताया कि हालांकि वहां के सभी वृद्धाश्रम सरकार चलाती है। आप लोग यहां प्रेरणा के जो सदस्य हैं अपनी कमाई से बिना सरकार से कोई अनुदान लिए, बिना समाज से कोई दान एकत्रित किए, इतना सुंदर सुव्यवस्थित निशुल्क सुविधा वाला जो वृद्धाश्रम चला रहे हैं। उसका कोई मुकाबला नहीं हो सकता है। उन्होंने प्रेरणा के सभी सदस्यों को बहुत-बहुत बधाई दी तथा साधुवाद व धन्यवाद किया। भूरी भूरी प्रशंसा की सबसे बढ़िया बात यह रही कि वह महिला जो कनाडा से आई थी साथ में अपने पुत्र और पुत्री को भी लेकर आई थी। जब उनसे वृद्धाश्रम में आकर अनुभव बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि बच्चों को हमारे जो भारतीय संस्कार हैं वह देना बहुत जरूरी है। इसी लिए महिला बच्चों को अपने साथ लेकर आई। ताकि यह भारतीय परंपराओं, रीति-रिवाजों, यहां की मान्यताओं और विशेष तौर पर धार्मिक विचारों को समझें, उनको जान व पहचान सकें। कनाडा वापस जाकर उनको सभी को अपना सके। विदेश से आई महिला ने कहा कि अपने बच्चों को भारतीय संस्कारों से परिचित अवश्य कराना चाहिए। मेरे बच्चे वहां पर जाकर भारत का नाम रोशन करेंगे और भारत की परंपराओं को वहां पर जाकर उनका प्रचार करेंगे।
उन्होंने विशेष तौर पर प्रेरणा वृद्धाश्रम में चल रही लाइब्रेरी का अवलोकन किया और बहुत प्रशंसा की। उन्होंने कुछ पुस्तकों में बहुत रुचि दिखाई, जो संस्था के संस्थापक अध्यक्ष जय भगवान सिंगला द्वारा लिखी गई थी। इस अवसर पर संस्थापक जय भगवान सिंगला ने वहीं उन्हें स्वरचित पुस्तकें भी भेंट की। बुजुर्गों ने आशीर्वाद दिया। बच्चों ने बुजुर्गों के चरण छूकर उनसे अपनी यात्रा की सफलता की कामना की और यह वादा किया कि हम कनाडा में रहकर भारतीय संस्कारों को अपनाएं। सदा वृद्धों का सम्मान करेंगे। कभी भी किसी भी हालत में अपने घर के तो क्या और किसी वृद्ध का भी अपमान नहीं करेंगे तथा सदा सम्मान करेंगे। इस अवसर पर संस्था की अध्यक्षा रेणु खुंगर ने भी सभी मेहमानों का दिल खोलकर स्वागत किया। उन्हें जलपान कराया और पूरे आश्रम का अपने साथ घुमा कर अवलोकन करवाया। इस अवसर पर आशा सिंगला, बी. श्रीवास्तव, जगमिंद्र पाल, चंद्रकांत, मुख्त्यार सिंह, कश्मीरी लाल, डा. वी. डी. शर्मा, बलविंदर कौर, चंद्रकांता, कृष्णा देवी, वीना कुमारी शकुंतला देवी व सीता देवी इत्यादि भी मौजूद थे।
कनाडा से आए प्रवासी भारतीयों को पुस्तक भेंट करते हुए जय भगवान सिंगला, मंदिर में पूजा करते हुए तथा शहीदी स्मारक पर श्रद्धा पुष्प अर्पित करते हुए। कनाडा से आए प्रवासी भारतीय बुजुर्गों को उपहार देते हुए तथा बुजुर्गों के साथ।