रिपोर्ट पदमाकर पाठक
कांग्रेस शहर अध्यक्ष ने सरकार द्वारा मदरसों की जांच पर उठाया सवाल ?
आजमगढ़। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गैर अनुदानित प्राइवेट मदरसे जो मान्यता प्राप्त नहीं है उनका सर्वे कराने जा रही यह कहते हुए कि वहां पढ़ाई की गुणवत्ता क्या है वहां सिलेबस क्या चल रहा है क्या पढ़ाया जा रहा है उन्हें कहां से धन आ रहे हैं सरकार को जानकारी होनी चाहिए लेकिन क्या 2014 के बाद जब से भाजपा की सरकार इस उत्तर प्रदेश और अन्य प्रदेशों में आई है सिर्फ इन्हें मदरसे या मुसलमानों के बनाए हुए संस्था ही दिख रही है क्या इस देश और प्रदेश में संस्कृत पाठशाला नहीं है या और संस्थाएं नहीं है और यह सिर्फ किसी भी चुनाव से पहले ही क्यों बयान आते हैं और मीडिया में बहस चालू हो जाती है ऐसा प्रतीत होता है कि इन लोगों को सिर्फ मुसलमानों के प्रति घृणा से भरे अपने समर्थकों को खुश करना है क्योंकि भाजपा सरकारें महंगाई बेरोजगारी देश में फैलती नफरत गिरता रुपया गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर। अबतक कोई भी जवाब नहीं दे पाई हैं इसलिए यह इस तरह का कृत्य कर रही हैं ताकि उनको एनर्जी मिल जाए क्योंकि उनकी एनर्जी सिर्फ मुसलमान है सरकार को यह पता होना चाहिए कि जो उनके अधीन मदरसे चल रहे हैं उनको किताबें अभी तक नहीं दी जा सकी हैं उनके अध्यापकों को नियमानुसार प्रतिमाह वेतन नहीं दिया जा रहा है ना ही स्कूलों को कोई और भी सुविधाएं दे रहे हैं और सिर्फ जांच चल रही है सरकार यह दिखाना चाह रही है कि हम मुसलमानों को देखो कितना परेशान कर रहे हैं इसी पर इन्हें वोट मिल रहा है यह देश का दुर्भाग्य है। यह लोकतंत्र है इन को सोचना चाहिए अपने ही देश के नागरिकों के साथ संस्थाओं के साथ सौतेला व्यवहार करना ठीक नहीं है रही बात प्राइवेट मदरसों की तो यह हर सुविधाओं से लैस हैं इनकी बिल्डिंग है इनकी पढ़ाई के सिस्टम चुस्त और दुरुस्त हैं यह जनता द्वारा दिए गए अनुदान से चलते हैं जहां गरीब बच्चे यतीम बच्चे बेसहारा बच्चे अच्छी तालीम लेकर बड़ी बड़ी संस्थाओं में सरकार के उपक्रमों में अपना योगदान दे रहे हैं उदाहरण के तौर पर स्वर्गी एपीजे अब्दुल कलाम को ही देख लीजिए सरकार अपने अधीन मदरसों को पहले अच्छी सुविधाएं दें राज्यमंत्री दानिश अंसारी से निवेदन है की मदरसों को व्यवस्था दीजिए जांच के नाम पर परेशान करना बंद किया जाए। आधुनिकीकरण शिक्षक अपने अपने वेतन ना पाने की वजह से भूखमरी के शिकार हैं कितने आत्महत्या भी कर चुके हैं कितनों का घर बिखर चुका है पहले उनको नियमित वेतन दिलाने की पहल करें मदरसों में चलने वाली मिनी आईटीआई पर ध्यान दीजिए मार्कशीट की कोई वैल्यू नहीं है उनको पहले मान्यता प्राप्त कराइए उन्हें मशीनें उपलब्ध कराएं कच्चा माल उपलब्ध कराएं ताकि बच्चे स्वरोजगार के लिए तैयार हो सके।