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आर्थिक समृद्धि एवं विकास के लिए लघु उद्योग समूहों की विशेष भूमिकाःविनोद वर्मा।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र संभावनाओं एवं अवसरों से भरा हुआः वत्स।
कुवि के इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंडो-पेसिफिक स्टडीज द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्टीय सम्मेलन का हुआ समापन।
कुरुक्षेत्र, 3 सितम्बर : डॉ. बद्री नारायण गोपाल कृष्णन, व्यापार, वाणिज्य एवं रणनीतिक आर्थिक संवाद के मुखिया, नीति आयोग, भारत सरकार का ने अपने वक्तव्य में भारत की व्यापार नीति के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत आज विश्व में सबसे तीव्र गति से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है; जिसमें भारत का विदेशी व्यापार बहुत अधिक भूमिका अदा करता है। वे शनिवार इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंडो-पेसिफिकस्टडीज, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, द्वारा उभरते हिंद-प्रशांत निर्माण, संभावनाएं और चुनौतियां नामक विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।
डॉ. बद्री नारायण ने कहा कि नए आर्थिक सुधारों से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक खुली अर्थव्यवस्था नहीं थी जिसकी वजह से भारत को 1980 के दशक के अंतिम वर्षों में आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। वर्तमान समय में भारतीय अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है परंतु विदेशी व्यापार क्षेत्र में अभी भी भारत के लिए अनगिनत संभावनाएं मौजूद है जिस पर और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। सम्मेलन में देश एवं विदेश के बड़े दिग्गज सम्मानित अतिथियों ने शिरकत की।
अंतर्राष्ट्रीय हिंद-प्रशांत अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रोफ़ेसर वी एन अत्री ने आज के सम्मानित अतिथि एवं मुख्य वक्ता का स्वागत किया व परिचय करवाया।
ग्रुप कॉरपोरेट अफेयर के अध्यक्ष एवं रेगुलेटरी अफेयर्स के मुखिया
डॉ. विनोद वर्मा ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में व्यवसाय से वे व्यवसाय सहयोग विषय पर बात करते हुए बताया कि आज का युग प्रतियोगिता और संभावनाओं से भरा हुआ है इसमें व्यवसाय में आपसी सहयोग अर्थव्यवस्था की नींव मजबूत करता है तथा आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है। आर्थिक समृद्धि एवं विकास के लिए लघु उद्योग समूहों की विशेष भूमिका रही है। केंद्र का एक उद्देश्य इन लघु उद्योगों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने एवं उच्च निष्पादन में सहयोग करना भी होना चाहिए।
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के निदेशक गौरव वत्स ने फिक्की की भूमिका का वर्णन करते हुए बताया कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज का नीला चक्र हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपनी शक्ति को दर्शाता है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र संभावनाओं एवं अवसरों से भरा हुआ है। इसके विभिन्न क्षेत्रों जैसे मत्स्य, जल परिवहन, खनिज तेल इत्यादि मैं समृद्धि एवं विकास की अचूक संभावनाएं उपस्थित है; जिसकी तरफ अंतरराष्ट्रीय हिंद-प्रशांत अध्ययन केंद्र को अपना ध्यान अवश्य केंद्रित करना चाहिए।
इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विभिन्न शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र पढ़े। विभिन्न तकनीकी सत्रों को की अध्यक्षता प्रोफेसर ओमवीर सिंह, अध्यक्ष भूगोल विभाग, प्रोफेसर प्रदीप चौहान, अध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटेड एंड ऑनर्स स्टडीज, प्रोफेसर मोहिंद्र चांद अध्यक्ष पर्यटन प्रबंधन विभाग, प्रोफेसर तेजेंद्र शर्मा, डॉ. रणवीर सिंह फोगाट (सेवानिवृत्त) प्रमुख, जनसंपर्क और वैज्ञानिक सूचना संचार, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने की।
समापन समारोह
इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्मेलन के समापन समारोह में सामाजिक विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता एवं विभाग अध्यक्ष, इतिहास विभाग प्रोफेसर एसके चहल मुख्य अतिथि रहे । सम्मेलन की आयोजन सचिव डॉ. अर्चना चौधरी ने मंच संचालन किया एवं दो दिवसीय सम्मेलन की रिपोर्ट पढ़ी। इस दौरान सभी प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट वितरित किए गए। अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अशोक कुमार चौहान ने धन्यवाद प्रस्ताव पढ़ा।
इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय हिंद-प्रशांत अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रोफ़ेसर वी एन अत्री प्रो. अशोक चौहान, डॉ. अर्चना, चौधरी, डॉ. प्रिया शर्मा, डॉक्टर ईशु गर्ग, डॉ. निधि बागरिया, डॉ. राजेंद्र, डॉ. नरेश, डॉ. मोनिका, डॉ. मनोज कुमार, वसुधा जोली , वैभव, कांता, नीलम, दीपा, नेहा, टीनू , कोमल, दीपक, विनय, प्रियंका, श्रेया, रचना, गौतम, प्रमोद, अश्वनी , रेखा, रुचिता, मनजीत, डॉक्टर बहराम रमेश, इलहाम, लोपोकजाए इत्यादि विशेष रूप से उपस्थित थे।