शिक्षक ही हमे जीवन का मूल्य समझाते है-डा. दीक्षित
गुरसहायगंज से
✍️सिद्धार्थ गुप्ता की रिपोर्ट।
गुरसहायगंज-
अक्षर-अक्षर हमें सिखाते, शब्द-शब्द का अर्थ हमें बताते, कभी प्यार से कभी डांट से, जीवन हमें सिखाते ऐसे होते हैं हमारे शिक्षक। हम सभी जानते हैं कि आज के समय में शिक्षा का काफी अधिक महत्व है। हर माता-पिता का सपना होता है कि उनके बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और उनके सपने को पूरा करने का श्रेय अध्यापक को जाता है। प्राचीन समय से ही गुरु-शिष्य परंपरा भारत प्रचलित है।जिसमे शिष्यों द्वारा शिक्षको का हमेशा सम्मान होता रहा है।
उक्त वक्तव्य भारत विकास परिषद के प्रांतीय उपाध्यक्ष व वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक ड़ा.सुधीर दीक्षित ने स्थानीय भारत विकास शाखा द्वारा सरस्वती विद्या मंदिर जसोदा में आयोजित गुरुवंदन छात्र अभिनंदन कार्यक्म के अवसर पर व्यक्त किया। श्री दीक्षित ने आगे कहा कि जगत का प्रकाश, अँधेरे में प्रकाशस्तंभ और वह आशा जो हमें जीवित रहने की शक्ति देती है, वही हमारे शिक्षक हैं। आज हम शिक्षक दिवस मनाते हैं। एक दिन, उन प्रतिभाशाली आत्माओं को सम्मानित करने के लिए जो यह सुनिश्चित करने के लिए हर दिन काम करती हैं कि भविष्य हम सभी के लिए उज्ज्वल हो।
इस अवसर पर शाखा अध्यक्ष अतुल भारती ने कहा कि इस खूबसूरत अवसर पर, आइए हम अपने सभी शिक्षकों को अपनी शुभकामनाएं देने का अवसर लें, जिन्होंने हमें आकार देने में एक त्रुटिहीन योगदान दिया है। हर साल 5 सितंबर को हम शिक्षक दिवस मनाते हैं। यह बहुत उत्साह, खुशी और खुशी से भरा दिन है क्योंकि छात्र उत्सुकता से अपने शिक्षकों को यह बताने के लिए उत्सुक हैं कि वे उनके लिए कैसे और क्यों खास हैं। इस अद्भुत अवसर पर हमारे प्रिय शिक्षकों के बारे में बात करना मेरे लिए सम्मान की बात है। हर साल 5 सितंबर को हम शिक्षक दिवस मनाते हैं। यह दिन डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती का प्रतीक है और शिक्षक दिवस उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। देश के राष्ट्रपति के रूप में एक सफल नेता होने के साथ-साथ डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान विद्वान और एक उत्कृष्ट शिक्षक थे। शिक्षक हमारे समाज की रीढ़ हैं। छात्रों के व्यक्तित्व को आकार और निर्माण करके भाले का सिर बदल जाता है और उन्हें देश का आदर्श नागरिक बना देता है। जैसा कि कोई छात्रों और राष्ट्र के विकास, विकास और भलाई पर महान प्रभाव को देखता है, हमें इस बात से सहमत होना चाहिए कि शिक्षण एक महान पेशा है। एक कहावत है कि शिक्षक माता-पिता से बड़ा होता है। माता-पिता एक बच्चे को जन्म देते हैं, जबकि शिक्षक उस बच्चे के व्यक्तित्व को ढालते हैं और एक उज्ज्वल भविष्य प्रदान करते हैं। इसलिए हमेशा शिक्षक का सम्मान करें।
इस अवसर पर भारत विकास परिषद के शाखा सचिव ललित मोहन सिंह ने कहा कि
शिक्षाविदों के अलावा, शिक्षक हमें बेहतर इंसान बनने के लिए मार्गदर्शन, प्रेरित और प्रेरित करने के लिए हर कदम पर हमारे साथ खड़े रहते हैं। वे ज्ञान और ज्ञान के स्रोत हैं। उन्हीं से उन विचारों और विचारों का नेतृत्व होता है, जिनका उपयोग हम में से प्रत्येक एक दिन इस समाज में वापस प्रदान करने के लिए करेगा। मैं प्रत्येक शिक्षक को उनकी निस्वार्थ सेवा और गतिशील समर्थन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।
इसके पश्चात शाखा की ओर से 50 शिक्षकों को शाल उढ़ाकर, पेन व एक कलेंडर दे माल्यार्पण कर सम्मान किया गया।
इस अवसर पर उमेश गुप्ता,डा आर के कटियार, उमेश अग्रवाल, कमलेश सक्सेना एडवोकेट , प्रदीप गुप्ता, गगन मनीष सिद्धार्थ गुप्ता सहित कई लोग मौजूद रहे।
फोटो परिचय
शिक्षको का सममान करते भारत विकास परिषद के लोग।