भगवान श्री गणेश की विदाई नहीं होती, भगवान श्री गणेश तो हर क्षण हमारे बीच विद्यमान हैं : ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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जयराम विद्यापीठ में श्री गणेश उत्सव के समापन पर भक्ति भाव के साथ हुआ पूजन।
कुरुक्षेत्र, 9 सितम्बर : देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से ब्रह्मसरोवर के तट पर श्री जयराम विद्यापीठ में पिछले 10 दिन से चल रहे श्री गणेश उत्सव का समापन विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ अगले वर्ष फिर भगवान श्री गणेश के आगमन की कामना के साथ पूजन से किया गया। इस मौके पर विद्यापीठ के ट्रस्टियों के.के.कौशिक, श्रवण गुप्ता, राजेंद्र सिंघल, राजेश सिंगला, टेक सिंह लौहार माजरा, ईश्वर गुप्ता, सुरेंद्र गुप्ता, यशपाल राणा, सतबीर कौशिक इत्यादि से पूजन कर आरती की। इस के उपरांत भगवान श्री गणेश की प्रतिमा श्रद्धा के साथ नहर में विसर्जन के लिए रवाना किया गया। जयराम संस्थाओं के मीडिया प्रभारी राजेश सिंगला ने बताया कि परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने श्री गणेश उत्सव के समापन पर संदेश में कहा कि हम सभी भगवान श्री गणेश के भक्त हैं। हम कौन होते हैं भला, भगवान श्री गणेश को बनाने वाले, रचने वाले, मिट्टी से गढ़ने वाले। हम उनकी प्रतिमा या मूर्ति बना सकते हैं लेकिन उन्हें नहीं।
ना हम उन्हें विसर्जित कर सकते हैं। भगवान तो हर वक्त हमारे साथ हैं। उन्होंने कहा कि क्या हम अपने घर के बुजुर्गों को कुछ दिन घर में रख कर उन्हें वापिस जाने का कहते हैं। नहीं, तो फिर पालनहार श्री गणेश को हम विदाई कैसे दे सकते हैं। ब्रह्मचारी ने कहा कि भगवान श्री गणेश तो हमारे देवता हैं उन्हें ना हम स्थापित कर सकते हैं, ना बना सकते हैं ना ही विसर्जन कर सकते हैं। हम उनकी प्रतिमा ही निर्मित, स्थापित और विसर्जित कर सकते हैं। श्री गणेश चतुर्थी के दिन जिस हर्षोल्लास से गणपति बप्पा को अपने घर लाते हैं और उनकी विधि विधान से 10 दिनों तक पूजा करते हैं, ठीक उसी प्रकार आनंदपूर्वक विघ्नहर्ता गणेश जी को विदा किया जाता है और उनसे फिर अगले वर्ष आने की प्रार्थना की जाती है ताकि वे हमारे सभी कष्टों और संकटों का नाश करें। ब्रह्मचारी ने बताया कि पूरे श्री गणेश उत्सव में विश्व में शांति के साथ सभी की सुख समृद्धि व उन्नति की भगवान श्री गणेश से कामना की गई।