देश में प्राकृतिक खेती का मॉडल तैयार करेंगे आईसीएआर और कृषि संस्थान : कैलाश

देश में प्राकृतिक खेती का मॉडल तैयार करेंगे आईसीएआर और कृषि संस्थान : कैलाश।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

प्राकृतिक खेती पर तीसरी कक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक पाठ्यक्रम को किया जाएगा शामिल।
देश के 425 कृषि विज्ञान केंद्रों व 20 बड़े कृषि संस्थानों की 25 फीसदी भूमि पर तैयार होगा प्राकृतिक खेती का रोल मॉडल।
गुरुकुल कुरुक्षेत्र की प्राकृतिक खेती होगी शोध का आधार।
केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी व केंद्रीय कृषि विभाग के अधिकारी गुरुकुल कुरुक्षेत्र की प्राकृतिक खेती के उत्पादों को देखकर रह गए दंग। केंद्रीय कृषि मंत्री, गुजरात के राज्यपाल आचार्य डा. देवव्रत ने गुरुकुल कुरुक्षेत्र की 180 एकड़ प्राकृतिक खेती का किया अवलोकन।
गन्ने की 15 फीट की उंचाई को देखकर दंग रह गए कृषि मंत्री।
राज्यपाल आचार्य डा. देवव्रत ने बारीकी से दी प्राकृतिक खेती की जानकारी।

कुरुक्षेत्र 15 सितंबर : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को साकार करने तथा देश के प्रत्येक किसान को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से देश में आईसीएआर (इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च) और कृषि संस्थानों के माध्यम से प्राकृतिक खेती का रोल मॉडल तैयार किया जाएगा। इस प्राकृतिक खेती के रोल मॉडल को पूरा विश्व देखेगा। इस खेती का आधार और मुख्य शोध केंद्र गुरुकुल कुरुक्षेत्र रहेगा। इस प्राकृतिक खेती को अपनाने और शोध करने के लिए देश के 425 कृषि विज्ञान केंद्रों व 20 बड़े कृषि संस्थानों के 25 फीसदी भूमि पर प्रयोग किया जाएगा। इतना ही नहीं देश में स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में तीसरी कक्षा से लेकर पीएचडी तक प्राकृतिक
खेती पर पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए एक कमेटी का भी गठन कर दिया गया है। इस कमेटी की रिपोर्ट आने के तुरंत बाद प्राकृतिक खेती विषय को पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया जाएगा।
केंद्रीय राज्य कृषि मंत्री कैलाश चौधरी वीरवार को गांव कैंथला में गुरुकुल कुरुक्षेत्र की करीब 180 एकड़ प्राकृतिक खेती का अवलोकन करने के उपरांत पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इससे पहले केंद्रीय राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, गुजरात के राज्यपाल एवं गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती के जनक आचार्य डा. देवव्रत, आईसीएआर भारत सरकार के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक, केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सचिव मनोज आहुजा, एनसीईआरटी के निदेशक प्रोफेसर दिनेश शकलानी, हिसार कृषि विश्वविद्यालय के शोध निदेशक डा. जीत राम शर्मा ने गुरुकुल कुरुक्षेत्र की गांव कैंथला में 180 एकड़ प्राकृतिक खेती का अवलोकन किया। यहां पर गुजरात के राज्यपाल एवं गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती के जनक आचार्य डा. देवव्रत ने सभी मेहमानों का प्राकृतिक खेती की बारीकियों के बारे में जानकारी देते हुए वर्ष 2018 से शुरू की गई प्राकृतिक खेती के लाभ के बारे में विस्तार से बताया और गुरुकुल कुरुक्षेत्र की जमीन पर गन्ना, फल, सब्जियों, धान आदि की फसल को दिखाते हुए बताया कि इस खेत में प्राकृतिक खेती की प्रत्येक फसल की उपज बहुत अधिक हो रही है। इसके उपरांत कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी व कृषि विभाग के अधिकारियों ने गुरुकुल गौशाला में प्राकृतिक खाद मॉडल का अवलोकन किया तथा गुरुकुल के सभागार में प्राकृतिक कृषि पर आधारित सेमिनार के तकनीकी सत्र में शिरकत की और किसानों के साथ संवाद किया।
केंद्रीय राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और आय को दोगुना करने के उद्देश्य से बजट में प्राकृतिक खेती के लिए अलग से प्रावधान किया है। सरकार का उद्देश्य है कि किसानों को कम लागत पर अच्छा उत्पाद मिल पाए और आय में इजाफा हो सके तथा उपज और खेत केमिकल से मुक्त हो सके। इस प्राकृतिक खेती का उदाहरण गुरुकुल कुरुक्षेत्र में देखने को मिला। इस गुरुकुल में राज्यपाल आचार्य डा. देवव्रत ने प्राकृतिक खेती करके देश ही नहीं विश्व में प्राकृतिक खेती करने की रोशनी दिखाई है। अब इस प्राकृतिक खेती के मॉडल को देश में अपनाया जाएगा। इसके लिए आईसीएआर और कृषि संस्थानों ने निर्णय लिया है कि आने वाले समय में कृषि संस्थानों में 25 फीसदी भूमि पर प्राकृतिक खेती पर प्रयोग और शोध किया जाएगा ताकि प्राकृतिक खेती का एक रोल मॉडल तैयार किया जा सके। इन सभी संस्थानों के शोध केंद्र में किसानों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ प्राकृतिक खेती अपनाने के प्रति जागरूक किया जाएगा। इस खेती को अपनाने से देसी गाय का महत्व भी बढ़ेगा। इस खेती के माध्यम से देश को केमिकल खेती से मुक्त करके पर्यावरण को स्वच्छ बनाया जा सकेगा। राज्यपाल आचार्य डा. देवव्रत के प्रयासों से हिमाचल में 2 लाख और गुजरात में ढाई लाख किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपना लिया है और इसकी प्रेरणा गुरुकुल कुरुक्षेत्र से ही मिली है। इस खेती को देखने के लिए देशभर के कृषि वैज्ञानिक और अधिकारी उनके साथ गुरुकुल कुरुक्षेत्र में पहुंचे है।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को साकार करने के उद्देश्य से और देश की भावी पीढ़ी को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए तीसरी कक्षा से लेकर पीएचडी तक प्राकृतिक खेती के विषय को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी में कृषि वैज्ञानिक, कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति और शिक्षाविदों को शामिल किया गया है। यह कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट के साथ पाठ्यक्रम के लिए सिलेबस तैयार करके देगी और इस सिलेबस को जल्द ही पढ़ाना शुरु कर दिया जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल की भी प्रशंसा करते हुए कहा कि सरकार के प्रयासों से हरियाणा प्रदेश में भी लगातार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसका उदाहरण गुरुकुल कुरुक्षेत्र देश और दुनिया के सामने है।
गुजरात के राज्यपाल आचार्य डा. देवव्रत ने मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि गुरुकुल कुरुक्षेत्र के फार्म हाउस में प्राकृतिक खेती का सफल परीक्षण करने के उपरांत 3-4 सालों में हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती का प्रचार-प्रसार किया गया और गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्रशिक्षण भी दिया गया, जिसके कारण हिमाचल में 2 लाख किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन को सफल बनाने के लिए ओर रासायनिक खेती के विकल्प के रूप में प्राकृतिक खेती को अपनाया गया है। इस प्राकृतिक खेती से किसान आत्मनिर्भर होंगे, लागत कम होगी, आय में इजाफा होगा और लोगों को रसायन मुक्त खाद्य सामग्री मिल पाएगी, जिससे देश के नागरिक स्वस्थ होंगे, पर्यावरण शुद्ध होगा, पानी की बचत होगी, धरती की सेहत में सुधार होगा।
आईसीएआर के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक ने कहा कि गुरुकुल कुरुक्षेत्र की प्राकृतिक खेती भारतवासियों के लिए एक प्रेरणा के रुप में सामने आई है। भारतीय परम्परा के अनुसार कृषि को जीवन के साथ जोडक़र देखा जाता था। देश के 425 कृषि विज्ञान केंद्रों व 20 बड़े कृषि संस्थानों में प्राकृतिक खेती को लेकर प्रशिक्षण और शोध का कार्य शुरू किया जा रहा है और हरियाणा के कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारी नियमित रुप से गुरुकुल कुरुक्षेत्र से प्रशिक्षण ग्रहण करेंगे। इस खेती को देश ही पूरे विश्व का रोल मॉडल बनाने के लिए प्राकृतिक खेती और विज्ञान को एक साथ जोड़ा जाएगा।
एनसीईआरटी के निदेशक प्रोफेसर दिनेश शकलानी ने कहा कि एनईपी के तहत प्राकृतिक खेती को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। देश के 30 करोड़ विद्यार्थियों को प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी दी जाएगी। सरकार द्वारा तीसरी से पांचवी कक्षा तक के स्कूलों में प्राकृतिक खेती के छोटे फार्म हाउस भी स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि छटी से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को प्राकृतिक खेती पर प्रैक्टिकल करवाया जाएगा और नौंवी से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों का एक पेपर प्राकृतिक खेती पर होगा। इसके उपरांत उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में भी प्राकृतिक खेती के विषय को शामिल किया जाएगा। इस मौके पर महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. समर सिंह, राज्यपाल के ओएसडी डा. राजेंद्र विद्यालंकार, डा. बलवान सिंह, डा. हरिओम, डा. फतेह सिंह, डा. सरिता, डा. बलजीत सिंह सहित कृषि वैज्ञानिक, कृषि अधिकारी मौजूद थे।

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