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डीपीआरओ साहब : कहीं अधूरे पड़े सामुदायिक शौचालय तो कहीं लटक रहे ताले
✍️जलालाबाद संवाददाता मतीउल्लाह
कन्नौज। गुगरापुर ब्लॉक की 25 ग्राम पंचायतों में कागज पर भले ही सामुदायिक शौचालयों का संचालन हो गया हो। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। यहां के अधिकतर गांवों में या तो सामुदायिक शौचालय अधूरे पड़े हैं या फिर उनके ताले ही नहीं खुल रहे हैं। ऐसे में ग्रामीणों को अब भी खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है। पंचायती राज विभाग की ओर से स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत घर-घर शौचालय बनवाए गए हैं। लेकिन तमाम ग्रामीण ऐसे हैं जिनके पास शौचालय बनवाने के लिए भूमि ही नहीं है। ऐसे लोग भी खुले में शौच नहीं जाएं, इसको देखते हुए हर ग्राम पंचायत में सामुदायिक शौचलय का निर्माण कराया गया है। शौचालयों की देखरेख के लिए स्वयं सहायता समूह से केयर टेकर भी रखे गए हैं ग्राम पंचायतों के द्वारा इन केयर टेकरों को नौ हजार रुपये महीने की दर से 54-54 हजार मानदेय का भुगतान भी कर दिया । इसके बावजूद गुगरापुर ब्लॉक क्षेत्र में बने सामुदायिक शौचालयों के ताले नहीं खुल रहे हैं। राष्ट्रीय सहारा की पड़ताल में पता चला कि ज्यादातर शौचालय अधूरे पड़े हैं। किसी में रनिंग वाटर सप्लाई नहीं है तो किसी में गड्ढा नहीं बना या फिर घटिया क्वालिटी की लगी टाइल्स अभी से ही टूट गई । इसकी बानगी ग्राम पंचायत सौसरापुर ,बरकागांव, गुनाह , मोहनपुर, भमरगाड़ा , मनोरथपुर आदि गांवों में देखी जा सकती है। इन गांवों में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण अभी भी अधर में है। नतीजतन अभी भी ग्रामीण खुले में शौच जाने को मजबूर हो रहे हैं।
क्या बोले जिम्मेदार
सामुदायिक शौचालयों में ताला बंद होने की फिलहाल कोई शिकायत नहीं मिली है। केयर टेकरों को समय से भुगतान कर दिया गया है। इसके बाद भी शौचालय आम जन के लिए नहीं खोले जा रहे हैं तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।