सूर्य पुत्र शनिदेव की पूजा से ज्ञात अज्ञात पाप कर्मों के दोष से भी मुक्ति मिल जाती है : महंत जगन्नाथ
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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श्री मार्कंडेश्वर महादेव मंदिर में शनि शिला पर हुआ पूजन।
कुरुक्षेत्र, 26 नवम्बर : अखिल भारतीय श्री मार्कंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी की प्रेरणा श्री मार्कंडेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी में नवग्रह मंदिर के साथ स्थित शनि शिला पर श्रद्धालुओं द्वारा भगवान सूर्य पुत्र शनिदेव की विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ पूजा अर्चना की गई एवं तेलाभिषेक किया गया। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार शनि देव भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। सूर्य देव का विवाह प्रजापति दक्ष की पुत्री संज्ञा से हुआ। कुछ समय बाद उन्हें तीन संतानों के रूप में मनु, यम और यमुना की प्राप्ति हुई। इस प्रकार कुछ समय तो संज्ञा ने सूर्य के साथ रिश्ता निभाने की कोशिश की, लेकिन संज्ञा सूर्य के तेज को अधिक समय तक सहन नहीं कर पाईं। इसी वजह से संज्ञा अपनी छाया को पति सूर्य की सेवा में छोड़कर वहां से चली चली गईं। कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ। उन्होंने कहा कि विधिवत शनि देव का पूजन एवं दान पुण्य से शनि संबंधी सभी कष्ट दूर होते हैं। उन्होंने कहा कि समर्पण भाव से शनि देव की भक्ति पूर्वक उपासना करते हुए पाप की ओर जाने से बच जाते हैं। शनि देव की पूजा से ज्ञात अज्ञात किए पाप कर्मों के दोष से भी मुक्ति मिल जाती है। इस अवसर पर महंत जगन्नाथ पुरी ने यजमान मयूर गिरि, धर्मेंद्र सिंह, धर्मवीर, सुगंधा देवी, सोहना राम व पूजा रानी इत्यादि के लिए शनि पूजन किया।
महंत जगन्नाथ पूरी एवं श्रद्धालु शनि पूजन करते हुए।