लालकुआ ब्यूरो रिपोर्ट।
उत्तराखंड अजब है यह सबसे गजब है उत्तराखंड कि जीरो टॉयलेस वाली त्रिवेंद्र सरकार अपनी छवि को विज्ञापनों के मध्यम से चमकाने में लगी हुई है लेकिन वही सरकार कि जीरो टॉयलेस छवि को रसूखदार धूमिल करने में लगे हैं ।
हम बात कर रहे लालकुआ में रसूखदार लोगों ने जिस तरह से अफसरों और राजनीतिक साठ गांठ कर बड़े पैमाने पर कारोड़ो रूपये की जमीन पर अवैध कब्जा जमा लिया उसे प्रदेश सरकार की छवि धूमिल हो रही है।
बताते चलें कि सन् 2010 कि तत्कालीन भाजपा सरकार ने प्रदेश के अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए थे सरकारी संपत्ति से अवैध कब्जा मुक्त कराया जाए।जिसमें शासन के निर्देश पर लालकुआं भूमि घोटालों के लिए जांच कि गई जांच तत्कालीन तहसीलदार ने कर उपजिलाधिकारी को सौपी वही तहसीलदार द्वारा सौपी गई जांच में कई एकड़ भूमि राजस्व विभाग के कब्जे में दिखाई गई लेकिन इस भूमि पर हुए अधिकारियों और कब्जेदारों के बीच मोटे सौदेबाजी के चलते हैं आज भी भूमि कब्जेदारों के पास है।
मामले का खुलासा सूचना के अधिकार मिली जानकारी से लगा कि करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन पर कानून को धता बनाकर रसूखदार बैठे है । वहीं वर्तमान के सरकार भी उक्त रसूखदारों पर मेहरबान है जिसके चलते अब इस भूमि को भूमाफिया सरकारी पट्टे लेने की जुगत में है। इधर सरकारी भूमि पर कब्जा जमाए बैठे हैं कब्जेदारों पर कार्रवाई ना होने एंव लापरवाह विभागिय अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग अब तेज होती जा रही है।
वही नगर के कुछ लोग सरकारी दस्तावेजों को साथ हाई कोर्ट जाने की बात कर रहे हैं। इसके साथ ही उक्त जमीन को सरकार अपने कब्जे लेने एवं उसे जनता के विकास कार्य में लगाने हेतु शिकायत पत्र भी अधिकारियों को दे दिये गए हैं।
इधर लोगों का कहना है कि लालकुआं शहर में फायर स्टेशन ,बस अड्डा ,पार्किंग स्थल ,पार्क,क्रिट स्थल,सहित कई जरूरतों का भाव है जिसके चलते हैं स्थानीय लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है उन्होंने सरकारी भूमि को कब्जे लेने की सरकार से मांग की है तथा उक्त भूमि को जनता के विकास कार्य में उपयोग लगाने की मांग की है।