जनक दुलारी सीता विवाह कथा भाव के साथ भक्ति में गोता लगाया
आजमगढ़| में लगातार श्रीराम कथा का पाचवे दिन वाचक पऺ० श्री सीता राम नाम शरण जी कहा की महाराज ने कहा भगवान को भी परसुराम के क्रोध से को भी सामना करना पड़ा| बड़ी विचित्र बात है कि प्रभु श्री राम और परसुराम दोनों ही भगवान के रुप में है परन्तु श्रीराम द्वारा भगवान द्वारा ब्राह्मण का किस तरह सम्मान किया गया यह अनुकर्णीय है राजा जनक द्वारा भगवान परसुराम का क्रोध समाप्त करने के लिए प्रयास किया गया जबकि लक्ष्मण द्वारा अपने सत्य बचन से क्रोध पर नियंत्रण नहीं कर पाया लेकिन प्रभु श्री राम ने अवतारी भगवान परसुराम क्रोध को नम्रता आदर पूर्वक आचरण के क्रोध को शीतल कर दिया तब जाकर जनक दुलारी माता सीता का विवाह सकुशल संपन्न हो सका इस प्रकार नम्रता सत्यता अहकार से दूर रहकर व्यक्ति समाज में पूजनीय हो जाता आज चल रहे पांचवे दिन श्री राम कथा श्री सीता राम नाम शरण जी महाराज ने अपने विचार व्यक्त किया कथा प्रेमियों ने भी भाव विभोर कथा को सुनकर क्रोध की ज्वाला से दूर होकर भगवान के कीर्तन भजन भाव से भक्ति में विभोर हो गए आज के कार्यक्रम में राजेश पांडे राघवेंद्र धनंजय विनीत विनोद प्रधान अनिल पाठक आज लोगों ने भक्ति भाव की भक्ति भाव में गोता लगाकर अपने आपको धन्य किया