ग्रामीण आंचल से पैदा हो रहे हैं राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी
कुरुक्षेत्र के खिलाड़ियों ने ताइक्वांडो में एक बार फिर लहराया परचम।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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अम्बाला में आयोजित 15 वीं हरियाणा कप चैम्पियनशिप में 2 दर्जन से अधिक पदकों के साथ रनर अप ट्राफी पर कुरुक्षेत्र की टीम किया कब्जा।
हरियाणा कप में खिलाड़ियों ने 10 गोल्ड, 6 सिल्वर तथा 11 कांस्य पदक जीते।
गांव की कोच द्वारा दिया जा रहा है ताइक्वांडो प्रशिक्षण।
कुरुक्षेत्र, 29 दिसम्बर : जनून हो तो गांव की मिट्टी से ही राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी निकलते हैं। ऐसा ही सिद्ध कर के दिखाया है कुरुक्षेत्र के गांव भिवानी खेड़ा के बच्चों ने। गांव भिवानी खेड़ा के एन. डी. क्लब से अनेकों बच्चे ताइक्वांडो का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इन बच्चों में से कई राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में मेडल हासिल कर चुके है। यहीं के दो बच्चों सुनैना एवं आरजू को नेपाल में अंतर्राष्ट्रीय ताइक्वांडो चैम्पियनशिप में भाग लेने का मौका मिला है। अभी हाल ही में अम्बाला में सम्पन्न हुई 15 वीं हरियाणा कप चैम्पियनशिप में भी गांव भिवानी खेड़ा के खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा के जौहर दिखाए।
हरियाणा कप में खिलाड़ियों ने 10 गोल्ड, 6 सिल्वर तथा 11 कांस्य पदक जीतने के कुरुक्षेत्र पहुंचने पर टीम का ढोल नगाड़ों, बैंडबाजे एवं फूलमालाओं के साथ स्वागत किया गया। खिलाड़ियों तथा उनके अभिभावकों में भी काफी जोश देखने को मिला। इन खिलाड़ियों को गांव की ही कोच अंकिता ने प्रशिक्षित किया है। पदक जीत कर लौटी खिलाड़ी सुनैना ने बताया कि वह पिछले काफी समय से कुरुक्षेत्र के गांव भिवानी खेड़ा के एन. डी. क्लब में प्रैक्टिस कर रही हैं। उनके क्लब की पूरी टीम हरियाणा कप के लिए अम्बाला गई थी। इस में उनकी टीम के करीब 40 बच्चों ने भाग लिया। हरियाणा कप में उनकी टीम के खिलाड़ियों ने 10 गोल्ड, 6 सिल्वर तथा 11 कांस्य पदक जीते। खिलाड़ी सुनैना ने बताया कि उनकी टीम की ओवरऑल रनर अप ट्राफी आई है। उनकी टीम के अभी बच्चे पिछले काफी समय से गांव के क्लब में प्रैक्टिस कर रहे हैं। उनकी टीम के प्रतिभा शाली टीम को लगातार जीत के साथ ट्राफी मिल रही है। उम्मीद है कि इसी तरह राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में भी पदक जीतते रहें। खिलाड़ी सुनैना ने बताया कि उनकी कोच अंकिता की प्रैक्टिस और मेहनत से ही यह पदक मिले हैं। सुबह चार बजे उठकर उन्हें प्रैक्टिस करवाई जाती है। गांव की महिला शिल्पी सैनी ने कहा कि उन्हें गांव के बच्चों पर गर्व है कि वो इतने पदक जीत कर आए हैं। भविष्य में भी मेहनत से जीतते रहें। कोच अंकिता इन बच्चों के प्रशिक्षण एवं प्रैक्टिस पर पूरा ध्यान दे रही है व मेहनत कर रही है।