महात्मा ज्योतिबा फुले की बदौलत पहला महिला विद्यालय खोला गया और महिलाओं को शिक्षा का हक मिला।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
दूरभाष – 9416191877
महंत राजेंद्र पुरी ने महात्मा ज्योतिबा फुले (ज्योतिराव गोविंदराव फुले) को 19 वी. सदी का प्रमुख समाज सेवक बताते हुए उनकी जयंती पर नमन किया।
कुरुक्षेत्र, 3 जनवरी : जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी ने सत्संग सभा में कहा कि गुरु बिना गुजारा नहीं, गुरु ही हमें भगवान की भक्ति और धर्म के रास्ते पर चलने की शिक्षा देता है। उन्होंने महात्मा ज्योतिबा फुले को प्रसिद्ध समाज सेवक और गुरु बताते हुए कहा कि उनकी बदौलत पहला महिला विद्यालय खोला गया और महिलाओं को शिक्षा का हक मिला। महंत ने अपने संदेश में कहा कि मानव जन्म से हिंदू, मुस्लिम, सिख या किसी भी धर्म से हो पर अपने धर्म के लिए श्रद्धा भक्ति रखे। दूसरे के धर्म का अपमान न करे परंतु अपने धर्म के साथ-साथ धर्म रक्षा के लिए हथियार उठा लेने पड़े तो उसके लिए भी तैयार रहना चाहिए। महंत ने महात्मा ज्योतिबा फुले (ज्योतिराव गोविंदराव फुले) को 19वी. सदी का प्रमुख समाज सेवक बताते हुए उनकी जयंती पर नमन किया। उन्होंने बताया कि ज्योतिबा फुले ने भारतीय समाज में फैली अनेक कुरीतियों को दूर करने के लिए सतत संघर्ष किया। अछूतों द्वार, नारी-शिक्षा, विधवा – विवाह और किसानों के हित के लिए उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया है। जिन का सबसे पहला और महत्वपूर्ण कार्य महिलाओं की शिक्षा के लिए था और इन की पहली अनुयायी खुद इन की पत्नी थी, जो हमेशा अपने सपनों को बाँटती थी तथा पूरे जीवन भर उनका साथ दिया। अपनी कल्पनाओं और आकांक्षाओं के एक न्याय संगत और एक समान समाज बनाने के लिए 1848 में ज्योतिबा ने लड़कियों के लिये एक स्कूल खोला, ये देश का पहला लड़कियों के लिये विद्यालय था। उनकी पत्नी सावित्रीबाई वहाँ अध्यापन का कार्य करती थी। लेकिन लड़कियों को शिक्षित करने के प्रयास में एक उच्च असोचनीय घटना हुई उस समय, ज्योतिबा को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। हालांकि इस तरह के दबाव और धमकियों के बावजूद भी वो अपने लक्ष्य से नहीं भटके और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ते रहे और लोगों में चेतना फैलाते रहे। दरबार के प्रवक्ता राजकुमार ने बताया कि सत्संग का आयोजन दिलबाग रामनिवास, राम कुमार, माम राज, कमलजीत काला इत्यादि ने करवाया।
श्रद्धालुओं के साथ महंत राजेंद्र पुरी।