उत्तराखंड: सियासी भूचाल के बाद भाजपा कार्यालय में सन्नाटा,
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने साधा निशाना,
प्रभारी संपादक उत्तराखंड
सागर मलिक
- एक दो पदाधिकारी और कार्यकर्ता आए, लेकिन सभी खमोश,
- सियासी उठापटक को लेकर कयासबाजियों का दौर अभी भी जारी,
आम दिनों में बलबीर रोड स्थित जिस भाजपा प्रदेश कार्यालय में पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की भीड़ रहती है, वहां रविवार का माहौल काफी सन्नाटे से भरा हुआ था। न कोई बड़े पदाधिकारी दफ्तर आए और न ही उतनी संख्या में कार्यकर्ता।
सुबह करीब 11.30 बजे भाजपा नेता विनय गोयल अपने दफ्तर पहुंचे। इसके बाद महानगर की कार्यकारिणी के कुछ सदस्य भी दफ्तर आए। भाजपा के नेता कुंवर जपिंदर की गाड़ी आकर रुकी, वह सीधे भीतर चले गए। इसके बाद इक्का-दुक्का पदाधिकारी आते रहे और जाते रहे लेकिन सभी के लब खामोश थे।
सियासी घटनाक्रम को लेकर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं था। पूरे मामले में सोशल मीडिया और अन्य जगहों पर चल रही चर्चाओं को लेकर भी सबने खामोशी का लबादा ओढ रखा है। अंदरखाने बात कुछ भी हो लेक़िन आपसी कलह या किसी तरह की उठापटक का कोई भाव किसी भी पदाधिकारी या कार्यकर्ता के चेहरे पर नजर नहीं आया।
दिन शनिवार : बीजापुर गेस्ट हाउस से लेकर भाजपा दफ्तर तक पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की भीड़। तमाम तरह की चर्चाएं। कोर कमेटी की बैठक चलती रही तो उधर भाजपा के प्रदेश कार्यालय और महानगर कार्यालय में भी गहमागहमी का माहौल रहा। सभी तरह की चर्चाओं के बीच देर रात तक दफ्तरों में भीड़ रही।
दिन रविवार : सुबह से मौसम सुहावना लेकिन सियासी गर्माहट के बावजूद भाजपा के दफ्तरों में सन्नाटा। एक ओर महानगर कार्यालय में ताला लटका हुआ है तो दूसरी ओर प्रदेश कार्यालय में इक्का-दुक्का पदाधिकारी और कार्यकर्ता ही नजर आ रहे हैं। वह भी इस कदर खामोश हैं कि कोई कुछ बोलते को तैयार नहीं। हालांकि, एक-दूसरे को देखकर उनके चेहरे के भाव काफी कुछ बयां करते नजर आए।
2017 में भाजपा ने जो बोया, अब उसे काटना पड़ेगा : रावत
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत का कहना है कि 2017 में भाजपा ने जो बोया था, वह तो उसे काटना ही पड़ेगा और उत्तराखंड भी इसका परिणाम भुगतना पड़ रहा है।
प्रदेश में मचे सियासी घमासान पर प्रेस बयान जारी कर हरीश रावत ने कहा कि 2017 में दूसरे के खेतों की फसल चरने की आदत वाले बैलों को भाजपा अपने साथ ले गई थी। उस समय भाजपा यह भूल गई कि ये बैल सींग मारने वाले भी हैं। मुख्यमंत्री होने के नाते वे उस समय इनका शिकार बने थे।
रावत ने कहा कि अब भाजपा को इसका परिणाम भुगतना पड़ रहा है। वर्तमान में सत्ता पक्ष में इसी वजह से सियासी घमासान भी मचा हुआ है। यह स्थिति प्रदेश की राजनीति के लिए भी सही नहीं है। इसका परिणाम राज्य को भी भुगतना पड़ रहा है।
विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के नौ मंत्रियों और विधायकों ने पाला बदलकर भाजपा का दामन थाम लिया था। उस समय मचे सियासी घमासान के कारण प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लगा था और खुद हरीश रावत को स्टिंग का सामना करना पड़ा था। रावत ने उस समय भाजपा पर विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया था।