बढ़ती हुई ठंड स्वास्थ्य के लिए हानिकारक: डॉ. अनेजा।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कड़कती ठंड से बचाव के लिए बहुत जरूरी कार्य के लिए ही घर से बहार निकले।
सर्दी से बचाव के लिए बच्चों और बुजुर्गो का विशेष ध्यान रखे।
कुरुक्षेत्र 4 जनवरी : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के हेल्थ सेंटर के एडमिनिस्ट्रेटर, गैपियो सदस्य, आरएसएसडीआई मेंबर एवं मेडिकल ऑफिसर, डॉ. आशीष अनेजा के द्वारा बढ़ती हुई ठंड के प्रति हृदय से संबंधित समस्याओं को लेकर लोगों को जागरूक किया। डॉ. अनेजा ने बताया कि ठंड लगना आमतौर पर एक सामान्य स्थिति होती है लेकिन अगर किसी व्यक्ति को ठंडा मौसम न होने पर भी अत्यधिक ठंड लगती है या फिर अगर किसी व्यक्ति से ठंड सहन नहीं हो पा रही है तो यह एक असामान्य स्थिति है। इसे ठंड के प्रति अतिसंवेदनशील होना कहा जाता है और अधिक ठंड लगना ही इस समस्या का सबसे मुख्य लक्षण होता है।
अधिक ठंड लगने का सबसे मुख्य कारण शारीरिक कमजोरी होता है, इसके अलावा हाइपोथायरायडिज्म, एनीमिया और फाइब्रोमायल्जिया जैसे कुछ रोग भी अधिक ठंड सहन न कर पाने जैसे लक्षण विकसित कर सकते हैं। ठंड के प्रति अतिसंवेदनशीलता का इलाज करने के लिए सबसे पहले इसका परीक्षण करके अंदरूनी कारणों का पता लगाया जाता है। इसका कारण बनने वाले अंदरूनी रोगों के अनुसार ही इस स्थिति का इलाज शुरू किया जाता है। इस स्थिति का इलाज करने के लिए डॉक्टर आवश्यक दवाओं के साथ-साथ आहार में भी कुछ महत्वपूर्ण बदलाव कर सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग हृदय रोगों से परेशान हो सकता है जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल हृदय रोगों को ट्रिगर कर सकते हैं।
सर्दियों में हृदय रोग के बढ़ने के कारण।
इसके अलावा, अनहेल्दी डाइट, तनाव व इनएक्टिव लाइफस्टाइल के चलते हृदय रोग के लक्षण बढ़ सकते हैं. इतना ही नहीं ठंड का मौसम भी हृदय रोग को बढ़ा सकता है, क्योंकि सर्दी के मौसम में रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाती हैं. इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। आमतौर पर लोगों का मानना है कि सर्दी के दिनों में सर्दी-जुकाम और फ्लू के मामलों में तेजी आती है, जबकि इस मौसम में हार्ट अटैक का जोखिम सबसे ज्यादा है। दिल की बीमारी से होने वाली मृत्यु, अचानक होने वाली मृत्यु सहित सर्दी की शुरूआत में बहुत तेजी से बढ़ती हैं। अध्ययनों से पता चला है कि सर्दी के दिनों में दिल का दौरा पड़ने का खतरा गर्मियों के मुकाबले दोगुना होता है। दिल के दौरे और हृदय रोग से संबंधित घटनाओं की संभावना अक्सर सुबह के वक्त ही होती हैं। शोधकर्ताओं ने पाया है कि सर्दी के मौसम में फ्लू के साथ हमारा दिल तनाव में आ जाता है।
सर्दियों में हृदय रोगी रखें खास ख्याल, ठंडा पानी पीने से बचें।
सर्दी के महीनों में स्वस्थ और दिल के मरीजों को अपने दिल का खास ख्याल रखना चाहिए। ध्यान रखना चाहिए कि वातावरण अधिक ठंडा न हो, बाहर ठंड ज्यादा होने पर घर के अंदर ही व्यायाम करें तथा सर्दी में होने वाली बीमारियों से बचाव हेतू शरीर को गरम रखने के लिए थोड़े अधिक गरम कपड़े पहनें, स्वच्छता का ध्यान रखें, नियमित रूप से स्किन को मॉस्चराइज करें, ठंडा पानी पीने से बचें, तेज़ गरम पानी के स्नान से बचें, पौष्टिक भोजन करें और पिस्ते का सेवन हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है। ग्रीन टी का सेवन भी उनके लिए फायदेमंद हो सकता है। हर आधे घंटे पर गुनगुना पानी पिएं। ये न केवल आपके गले को सेंक पहुंचाता है, बल्कि आपके शरीर में पानी की कमी भी नहीं होने देता।
गर्म पानी में एक चुटकी नमक व हल्दी डालकर करे गरारे,
कफ दोष से मिलेगी निजात।
डॉ. अनेजा ने बताया कि गर्म पानी में एक चुटकी नमक और हल्दी डालकर उससे गरारे करें। आयुर्वेद के अनुसार हल्दी और नमक गले को सेक कर कफ दोष से निजात दिलाते हैं। साथ ही हल्दी के एंटीबायोटिक और एंटी बैक्टीरियल गुण इन्फेक्शन खत्म करते हैं और गले के दर्द से राहत मिलती है तथा अदरक की हर्बल चाय दिन में पिएं इसके अतिरिक्त रात को सोने से पहले एक चम्मच शहद खाएं तथा उसके ऊपर से पानी न पिएं क्योंकि शहद में एंटी बैक्टीरियल और एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं जो गले को राहत देते हैं। इन सभी नुस्खों को जीवन में अपनाकर शारीरिक कमजोरी को दूर करते हुए, एक स्वस्थ जीवनशैली को अपना कर अधिक ठंड लगने जैसी समस्याओं से बचाव किया जा सकता है। इसके अलावा स्वस्थ आहार और नियमित रूप से शारीरिक जांच करवा कर भी यह समस्या विकसित होने से रोकथाम करने में मदद मिलती है। फिर भी कोई असुविधा महसूस होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें।