शिव पार्वती विवाह की कथा सुनकर श्रोता हुए भाव विभोर
✍️ Kannoj Jila samvaddata
कन्नौज । सिद्धपीठ मां फूलमती देवी मंदिर प्रांगण में जगदाचार्य स्वामी नारदानंद सरस्वती की पुण्य स्मृति में चल रही श्रीराम कथा में चित्रकूट धाम से पधारे स्वामी धीरेंद्रचार्य जी महाराज ने शिव पार्वती विवाह प्रसंग पर संगीतमय प्रसंग सुनाकर भक्तों को भाव विभोर कर दिया। शिव जी का विवाह सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए।
पार्वती ने हिमालय पर मैना के घर जन्म लिया तो नारद जी ने हस्त रेखा देखकर सर्वगुण संपन्न कन्या को बताकर कहा कि यह कन्या अवधूत दूल्हे के साथ ब्याही जायेगी और पार्वती जी तपस्या करने के लिए चली गई। सप्त ऋषियों ने तपस्या पूर्ण देखकर पार्वती के साथ विवाह करने की प्रार्थना भगवान शिव से की। पार्वती जी ने जन्म कोटि लगि रगर हमारी, बरहु शंभू न त रहहु कुंवारी। शिव जी ने विवाह से पूर्व ही कामदेव को जला डाला और फिर भगवान शिव की बारात उठी। शिव पार्वती का विवाह वैदिक रीति से हुआ। नारद जी को भी आनंद हुआ। वार्षिकोत्सव पर आज शतचंडी महायज्ञ का भी शुभारंभ हुआ।
नैमिशारण्य से पधारे यज्ञाचार्य पंडित राधेश्याम मिश्र ने अपने सहयोगी आचार्यों के साथ यज्ञ देव की अग्नि अरणी मंथन से उत्पन्न की और देवताओं को आहुतियां प्रदान कराई गई। जिसके बाद भक्तों ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा शुरू की। भीषण शीत लहर के बाबजूद आज सूर्य देवता प्रसन्न हुए और उन्होंने काफी देर तक उजाला प्रदान किया जिससे भक्तों ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा की और लोगों ने कथा का श्रवण किया। इस अवसर पर नगर के श्रद्धालु भक्तों ने संत महात्माओं का सम्मान किया और उन्हे शीत लहर से बचाव के लिए कंबल ओढ़ाए गए।