भारतीय धर्म और संस्कृति से दुनिया को परिचित कराने वाले प्रथम महापुरुष थे विवेकानंद : डॉ. बलदेव कुमार।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र : शिकागो में आयोजित विश्व धर्म परिषद के जरिए, आधुनिक विश्व को भारतीय धर्म और संस्कृति से परिचित कराने वाले स्वामी विवेकानंद महान समन्वयकारी थे। उन्होंने सभी धर्मों के सह अस्तित्व का विचार देश-दुनिया के सामने रखा। इस वजह से स्वामी विवेकानंद के विचारों की प्रासंगिकता वर्तमान में भी बनी हुई है। वीरवार को राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष्य में श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के सभागार कक्ष में कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने ये बातें अधिकारियों और विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कही। इससे पहले कुलपति द्वारा स्वामी विवेकानंद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनको याद किया गया। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने समाज जागरण के लिए अनेकों कार्य किए है, वे कहते थे अगर मुझे सौ ऊर्जावान युवा मिल जाए, तो मै भारत को बदल दूंगा। यानी परिवर्तन के लिए कुछ करने का जोश ही आवश्यक है। विवेकानंद को आदर्श मानते हुए उनके दिखाए मार्ग पर भावी पीढ़ी आवश्यक रूप से चलना चाहिए। इस अवसर पर शैक्षणिक मामलों के अधिष्ठाता डॉ. शंभू दयाल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद युवा दिलों की धड़कन है। उनके विचारों से युवाओं को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। कम उम्र में ही विवेकानंद ने विश्व को अपनी प्रतिभा से प्रभावित किया था। विवेकानंद का मानना था कि धर्म किसी कोने में बैठकर, सिर्फ मनन करने का माध्यम नहीं है इसका लाभ देश और समाज को भी मिलना चाहिए। इस अवसर पर डॉ. अनिल शर्मा, डॉ. आशीष मेहता, डॉ. राका जैन, डॉ. ममता, डॉ. जेके पांडा, डॉ. दीप्ति पाराशर, डॉ. सतीश वत्स, डॉ. आशु विनायक, डॉ. प्रेम चंद मंगल और डॉ. रजनी कांत मौजूद रहे।