सागर मलिक
देहरादून: दरोगा भर्ती घपले में शामिल 20 दरोगाओं को पुलिस विभाग ने संदेह के आधार पर निलंबित कर दिया है। दूसरी तरफ अगस्त में यूकेएसएसएससी भर्ती घपले में गिरफ्तार कई सरकारी कर्मचारी अब जेल से छूटने के बाद, बहाल भी हो गए हैं। इसमें दो पुलिस कर्मी भी शामिल हैं।
वीपीडीओ भर्ती घोटाले में एक के बाद एक कई सरकारी कर्मचारी भी पेपर बेचने के आरोप में गिरफ्तार हुए थे। इसमें सचिवालय में तैनात अपर निजी सचिव, शिक्षक, कोर्ट लिपिक और पुलिस कर्मी तक शामिल थे। उक्त सभी हफ्तों तक जेल में रहे, हालांकि इसमें से कुछ अब जमानत हासिल करने में कामयाब रहे हैं।
इधर, जमानत हासिल करते ही इसमें से कुछ को अपने – अपने विभाग से चुपचाप बहाली भी मिल गई है। जमानत पर छूटे अन्य की भी बहाली प्रकिया शुरू हो चुकी है। वापस लौटे ड्यूटी पर भर्ती घोटाले के शुरुआती चरण में एसटीएफ ने काशीपुर में तैनात पुलिस कांस्टेबल विनोद जोशी को इस गैंग से जुड़े होने के जुर्म में गिरफ्तार किया था।
जोशी अब जमानत पर बाहर आकर बहाल हो चुके हैं। उन्हें रुद्रपुर पुलिस लाइन में तैनाती मिली है। इसी तरह काशीपुर में एसपी सिटी के गनर अमरीश गोस्वामी को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया था। गोस्वामी भी जमानत पर छूटते ही बहाल हो चुके हैं। नैनीताल कोर्ट में लिपिक महेन्द्र चौहान भी जमानत पर बाहर आकर बहाल हो चुके हैं।
दूसरी तरफ चम्पावत जिले के पाटी ब्लॉक में तैनात शिक्षक बलवंत सिंह रौतेला को एसटीएफ ने 27 अगस्त को गिरफ्तार किया था। रौतेला जमानत पर छूट चुके हैं। अभी वो घर पर ही हैं, विभाग ने उनसे दस्तावेज उपलब्ध कराने का कहा है। हालांकि बागेश्वर के शिक्षक जगदीश गोस्वामी और सचिवालय के एपीएस सूर्यप्रताप सिंह भी जमानत पर रिहा हो चुके हैं, लेकिन अभी उन्हें बहाल नहीं किया गया है।