राजपथ से झांकी के माध्यम से पूरी दुनिया में पहुंचेगा पवित्र ग्रंथ गीता का संदेश : डा. अमित अग्रवाल।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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26 जनवरी के लिए अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के थीम पर चुनी गई हरियाणा की झांकी।झांकी में श्रीकृष्ण अर्जुन रथ को दिखाने का किया जा रहा है अनोखा प्रयास।
कुरुक्षेत्र 24 जनवरी : दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र यानी भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में इस बार 26 जनवरी को राजपथ पर हरियाणा की झांकी के माध्यम से पूरी दुनिया श्रीमद् भागवत गीता के शाश्वत संदेश से रू-ब-रू होगी। इस वर्ष राजपथ पर प्रदर्शन के लिए लगातार दूसरी बार हरियाणा की झांकी का चयन रक्षा मंत्रालय की विशेषज्ञ कमेटी द्वारा किया गया है जिसका थीम है अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव। पिछले वर्ष खेलों में नंबर वन हरियाणा की थीम पर आधारित झांकी के माध्यम से हरियाणा की बड़ी खेल उपलब्धियों को सशक्त तरीके से देश-दुनिया के सामने प्रस्तुत किया गया था।
सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक एवं मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डा. अमित अग्रवाल ने बताया कि भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ कमेटी द्वारा प्रतिवर्ष राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों व मंत्रालयों की झांकियों के चयन की प्रक्रिया नवंबर माह में शुरू की जाती है जिसमें सभी राज्य केंद्र शासित प्रदेश व मंत्रालय अपने-अपने थीम की प्रस्तुति देते हैं। विशेषज्ञ कमेटी द्वारा थीम की प्रासंगिकता व मजबूती के आधार पर चरणबद्ध तरीके से झांकियों का चयन किया जाता है और फिर चुने गए राज्य दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रंगशाला कैंप में अपनी-अपनी झांकियों का निर्माण करवाते हैं। झांकी निर्माण के अंतिम चरण में रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में इन झांकियों को पहली बार मीडिया के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।
उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र को दुनिया के सबसे प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक के रूप में जाना जाता था। यहां पवित्र नदी सरस्वती के तट पर वेदों और पुराणों की रचना की गई थी। लगभग 5159 साल पहले महाभारत युद्ध के पहले दिन भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में अर्जुन को श्रीमद्भगवद गीता का शाश्वत संदेश दिया था। इसीलिए कुरुक्षेत्र की पहचान गीता के जन्म स्थान के रूप में होती है। गीता के अमर संदेश की जयंती की वर्षगांठ को उनके जन्म स्थान कुरुक्षेत्र में हर साल अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। 18 दिनों तक चलने वाले अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का उद्देश्य श्रीमद्भगवद गीता के वैश्विक व प्रेरणादायक संदेश का प्रसार करना और दुनिया को शांति, सद्भाव तथा सार्वभौमिक भाईचारे के संदेश से आलोकित करना है। वर्ष 2018 में हरियाणा सरकार ने दुनिया के अन्य हिस्सों में गीता के सनातन संदेश को फैलाने के उद्देश्य से अन्य देशों में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव मनाने का निर्णय लिया। भारत के बाहर पहला उत्सव 2019 में मॉरीशस में आयोजित किया गया था। उसी वर्ष इसे लंदन में और 2022 में कनाडा में मनाया गया था।
सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के अतिरिक्त निदेशक क्षेत्र एवं नोडल अधिकारी डा. कुलदीप सैनी ने बताया कि गणतंत्र दिवस परेड में हरियाणा की झांकी पर प्रस्तुत गीता का संदेश मानव जाति के लिए सबसे बड़ी बौद्धिक देन रही है। यह वास्तव में दुनिया के सामने प्रदर्शन के लिए राज्य का सबसे बड़ा गौरव है। अपनी संपूर्णता में झांकी में भगवान श्रीकृष्ण को अर्जुन के सारथी के रूप में सेवा करते हुए और उन्हें गीता का ज्ञान देते हुए दिखाया गया है। झांकी की पहली झलक आध्यात्मिकता, कला और इतिहास को दर्शाती है। ट्रैक्टर खंड की शुरुआत में हम भगवान कृष्ण की उनके विराट स्वरूप में जीवन से भी बड़ी मूर्ति देखते हैं, जैसा कि उन्होंने अर्जुन के सामने प्रदर्शित किया था। परमात्मा का यह विराट स्वरूप कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में खड़ा है। झांकी में बने एक गोलाकार मंच के नीचे का पूरा भाग शेषनाग आदि के जटिल डिजाइन में बनाया गया है। ट्रेलर सेक्शन में पीछे की ओर चार घोड़ों के साथ एक भव्य रथ बनाया गया है। रथ, घोड़े और सभी तत्वों को जटिल विवरण के साथ बनाया गया है। अर्जुन और कृष्ण के रथ पर सवार मूर्तियों को रंगोन बनाया गया है जबकि ट्रेलर के बाकी हिस्से को एक ही पार्थिव छाया में बनाया गया है। झांकी में घोड़ों से लेकर रथ तक और यहां तक कि जमीन की धूल तक हर एक विवरण स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। ट्रेलर के किनारों पर बने पैटर्न के माध्यम से महाभारत युद्ध के विभिन्न दृश्यों को दर्शाया गया है।