मेहनगर, आजमगढ़। 3 एकड़ का पोखरा हो रहा उपेक्षा का शिकार
सरकार की योजना सिर्फ कागज तक ही रहती है सीमित।
स्थानीय तहसील मेहनगर के सोनवरसा गांव में 3 एकड़ पोखरा का अस्तित्व खतरे में। सरकार तमाम योजनाओं के माध्यम से समय-समय पर जल संरक्षण हेतु अभियान चलाकर सुन्दरी करण, अमृत सरोवर जैसी योजनाएं चलाई जाती है, लेकिन सरकार के अधिकारी और कर्मचारी छोटी से छोटी बड़ी से बड़ी समस्या को नजर अंदाज करती है जिसका जीता जागता उदाहरण है सोनबरसा का पोखरा जो अपनी दयनीय दशा पर उपेक्षा का शिकार हो रहा है।
सरकार की मंशा है कि वर्षा के जल को संरक्षित रख कर गांव में पानी के संकट को दूर किया जा सके तथा लोगों को सही जलस्तर मिलने से कोई समस्या उत्पन्न न हो। इसके साथ ही पशु पक्षियों को भी पानी के बगैर भटकना न पड़े। इसके लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च करके ग्रामीण स्तर तक योजना चलाकर अमृत सरोवर योजना के तहत तालाब पोखरा आदि को सुंदर बनाने के साथ ग्रामीणों के लिए तैयार करवा रही है ताकि उपरोक्त समस्या से लोगों को निजात मिल सके। लेकिन 3 एकड़ का एक ऐसा पोखरा देखने को मिल रहा है जहां विगत 10 साल से कोई काम नहीं हुआ। तरवां के सोनबरसा गांव में 3 एकड़ के इस पोखरे मे जंगल जैसी स्थिति देखी जा सकती है। ग्रामीणों के अनुसार कई बार स्थानीय प्रधान व महा प्रधान से कहने के बावजूद उपरोक्त पोखरे पर अभी तक कोई काम नहीं हुआ। जिससे यहां आने जाने में भी भय लगता है। ग्रामीणों ने मांग की है कि स्थानीय पोखरे को अमृत सरोवर योजना के तहत आच्छादित करके इसका सुंदरीकरण कराया जाना चाहिए ताकि 3 एकड़ के इस पोखरे में जल संरक्षित रह सके और क्षेत्र के लोगों को जल स्तर के लिए कोई समस्या ना होने के साथ पशु पक्षियों को पानी मिल सके।