बच्चों को संस्कृति एवं संस्कारों के साथ धर्म की शिक्षा अवश्य दें, महंत राजेंद्र पुरी ने की अपील
जात पात में बिखरे इंसानों को भविष्य में भुगतना पड़ेगा : महंत राजेंद्र पुरी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र, 29 जनवरी : जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी ने सभी देश और प्रदेशवासियों से अपील करते हुए कहा कि अपने बच्चों को संस्कृति एवं संस्कारों के साथ धर्म की शिक्षा अवश्य दें। उन्होंने कहा कि संस्कृति एवं संस्कारों के साथ धर्म की शिक्षा हर इंसान के लिए सांस लेने जितना जरूरी है। जितनी अहमियत खुद को जीने के लिए देते हैं उतनी ही अहमियत अपने धर्म को देनी चाहिए। अगर धर्म नहीं तो कुछ भी नहीं होगा। महंत ने कहा कि आज के इस आधुनिक युग में इंसान के पास सुख सुविधा के साधन तो बहुत हैं परंतु संस्कृति एवं संस्कारों के ज्ञान के साथ धर्म की शिक्षा बच्चों को देना और धर्म की बात करने का समय नहीं है। जिसका परिणाम आने वाली पीढ़ी को भुगतना पड़ेगा। महंत आगे बताया कि सबसे बड़ी बुराई जो समाज को खोखला कर रही है वो जात पात का जहर है। परमात्मा ने किसी भी इंसान को किसी जाति का नहीं बनाया है। यह सब हमने और इस समाज ने बनाया है। महंत ने लोगों को समझाते हुए कहा कि दुर्भाग्य से अगर किसी इंसान को कभी किसी दुर्घटना या बीमारी की वजह से खून की जरूरत पड़ जाए तो हम किसी पड़ोसी, मित्र, रिश्तेदार या ब्लड बैंक से खून ले जाते हैं। तब किसी जाति का खून नहीं मिलता, इंसान का मिलता है। इंसान सिर्फ दुख और अपने फायदे के समय जात पात भूल सकता है। अगर इसी तरह जात पात से ऊपर उठकर सबसे पहले खुद को हिंदू समझें और धर्म की राह पर चलें, तभी देश और प्रदेश का भला होगा। जात पात में बिखरे इंसानों को भविष्य में भुगतना पड़ेगा। अपने संदेश में हाथ जोड़कर लोगों से अपील करते हुए महंत ने बताया कि हमें खुद भी और अपने बच्चों को धर्म की शिक्षा देनी पड़ेगी कि धर्म का पालन करें। हमारी आने वाली पीढ़ी एक दिन हमें दोषी ठहराएगी। जब उन्हें धर्म की जरूरत होगी तब एहसास होगा पूर्वजों ने धर्म सिखाया ही नहीं।
जग ज्योति दरबार में महंत राजेंद्र पुरी।