“बिन्त ए फनून का रिश्ता”,”बज्जिका गीतों में जन चेतना” व “जिसे भूल गए” पुस्तक का हुआ विमोचन
मुशायरा सह कवि सम्मेलन में शायरों ने खूब लुत्फ अंदोज किया,गंगा जमनी तहजीब का दिखा मंजर
हाजीपुर(वैशाली)जिले के पातेपुर प्रखंड क्षेत्र के राजकीय आदर्श मध्य विद्यालय भैरोखड़ा के प्रांगण में तंजीम ए अरबाब ए अदब के बैनर तले भव्य मुशायरा सह कवि सम्मेलन व पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का शानदार आयोजन किया गया।कार्यक्रम में “बिन्त ए फनून का रिश्ता ” डॉक्टर बद्र मोहम्मदी,”बज्जिका गीतों में जन चेतना” डॉक्टर राम नरेश भक्त व “जिसे भूल गये” मंजूर आदिल की लिखित पुस्तक का विमोचन प्रोफेसर फारूक अहमद सिद्दीकी,अनवारूल हसन वस्तवी,डॉक्टर अता आबदी,डॉक्टर राम नरेश शर्मा,ज्वाला सांध्य पुष्प,अश्विनी कुमार आलोक,डॉक्टर अविनाश अमन,डॉक्टर जफर अंसारी,सैयद मिस्बाह उद्दीन,डॉक्टर बिस्मिल आरफी के हाथों किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर फारूक अहमद सिद्दीकी व संचालन डॉक्टर आरिफ हसन वस्तवी ने की।इस अवसर भव्य मुशायरा सह कवि सम्मेलन भी हुआ।जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर फारूक अहमद सिद्दीकी व संचालन प्रसिद्ध शायर असर फरीदी ने की।मुशायरा सह कवि सम्मेलन की शुरूआत उभरते हुए नौजवान शायर मजहर वस्तवी की इस शेर से हुआ।
फसले गुल,रंगे चमन,बादे सबा का मतलब
हर कली को है पता नाज ओ अदा का मतलब
जिसे उपस्थित लोगों ने खूब पसंद किया और दाद से नवाजा।वहीं निम्न लिखित शायरों ने भी अपनी शायरी,गजल,गीत से लोगों को खूब लुत्फ अंदोज किया और खूब तालियां बटोरी।
आप नफरत से देखते ही रहें
पढ़ के उर्दू संवर गया कोई
(प्रेम नाथ बिस्मिल)
रास्ता है बंद तो अब जाएं कहां
सच हमने अज्म का झूठलाएं कहां
(डॉक्टर बद्र मोहम्मदी)
आज मेहनत की ही बदौलत हम
बेटियां अब जहां में नाम करें
सानिया हो लगन तो एक दिन हम
अपनी मंजिल पे खुद कयाम करें
(सानिया फरहत जमाल)
मुझको किसी चराग से उलफत नहीं रही
चलने लगी है तेज हवा ठीक ही तो है
(एम आर चिश्ती)
मुश्किल में लग रहा है ये अमन ओ अमां क्या
वहशी के हाथ लग गया गीता कुरान क्या
(डॉक्टर पंकज कर्ण)
कहा ये बाप ने जिंदा है मेरा लख्त ए जिगर
बता रही है ये उसकी कमीज की खूशबू
(मोकीम दानिश)
तू जो चाहे तो मैं तनवीर कम भी देखूं
ख्वाब देखूं के मैं ताबीर कम भी देखूं
(मासूमा खातून)
मुझे देके जब्त का मशवरा
भरी अंजुमन में रूलाए दिल
(काजिम रजा)
प्यार में बात बनाते क्यों हो
करके एहसान जताते क्यों हो
(डॉक्टर फरहत यास्मीन)
मां बुलाती है तो अब वक्त कहां मिलता है
हम मुलाकात को इतवार पे रख देते हैं
(असद रिज़वी)
पर्यावरण पर मचल हए चारों ओरी सोर
वातावरण चुअ बइल हए मुंह झांक के लोर
(डॉक्टर विद्या चौधरी)
पास व तन्हाई के लम्हात से बाहर निकलो
फिक्र फरदा करो जज़्बात से बाहर निकलो
(डॉक्टर शमां नासमीन नाजां)
सांझ से पहले उजाला लौटा
रो रो कर देखो बेचारा लौटा
(ज्वाला सांध्य पुष्प)
फिर लुटेरे आए हैं देश लूटने वाले
फिर से एकता होगी इंकलाब पर मब्नी
हम गरीब लोगों का इन अमीर लोगों से
एक ही तो रिश्ता है रोब दाब पर मब्नी
(अली अमहद मंजर)
खोलू न किमारी बटन डोर
बलमुआ भेलइ भोर,बलमुआ भेलइ भोर
(सुधा वर्मा)
कम से कम इश्क में इतना अदब तो सीखा है
वह हमें छोड़ के जाते हैं तो जाएं पहले
(डॉक्टर बिस्मिल आरफी)
बहुत सारे अश्आर नजरों से गुजरे
लगा उनमें एक लफ्ज “मां” खूबसूरत
(मुश्ताक दरभंगवी)
वीरानियां यूं दिल पे गिरा बहार हो गई
आंखे फरेब खाने को तैयार हो गई
(एकराम आजर)
किसी के माल व दौलत के दिखावे पर नहीं जाता
के जब मरता है इंसां साथ उसके जर नहीं जाता
(अविनाश अमन)
रोज आती है रोज जाती है
जिंदगी है किसी शुमार में क्या
(अता आबदी)
कोई दिल की खलीश को क्या जाने
कौन बेहतर है मेरे सिवा कौन जाने
(मंजूर आदिल)
वहीं इनके अलावा अखौरी चन्द्र शेखर,डॉक्टर राम नरेश भक्त व फारूक अहमद सिद्दीकी ने भी अपने अपने कलाम पेश किए और खूब दाद हासिल की।इस अवसर पर जिला उर्दू टीचर एसोसिएशन वैशाली के जिलाध्यक्ष मोहम्मद अजीमउद्दीन अंसारी,सेक्रेटरी अब्दुल कादिर,अमीरूल्लाह,मुखिया मोहम्मद हासिम अंसारी,मुखिया भोला राय,उर्दू काउंसिल वैशाली के जिलाध्यक्ष एडवोकेट नसीम अहमद सिद्दीकी,मोहम्मद मुमताज,मोहम्मद वसीम,मोहम्मद जाहिद अंसारी नेता जी,मास्टर अंजारूल हसन वस्तवी,मोहम्मद परवेज आलम उर्दू लाइब्रेरी पटना,गुलाम मुस्तफा अंसारी,मौलाना नजरूल होदा,हाफिज जुनैद आलम नदवी,सचिन कुमार,पत्रकार मोहम्मद आसिफ अता,शराफत खान,मोहम्मद एहतशाम फरीदी,मोहम्मद शाहनवाज अता आदि समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।अंत में सभी अतिथियों को डॉक्टर बद्र मोहम्मदी ने धन्यवाद देते हुए कार्यक्रम समाप्त किया।
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