भ्रष्ट अधिकारियों के चलते मेहनगर तहसील व थाने पर नहीं हो पा रहा है न्याय
मेंहनगर तहसील परिसर में रोज प्रार्थना पत्र पड़ते हैं। और रोज किसी न किसी का निस्तारण भी किया जाता है। विवादित मामले रोज आते हैं और लेखपाल कानूनगो मिलकर जांच भी करते हैं। जमीनी विवाद को लेकर लोग आपस मे भीड़ जाते हैं। लेखपाल सही रिपोर्ट भी नही लगा पाते हैं । वादकारी रोज तहसील के चक्कर लगाते लगाते थक जाता है। कुछ ऐसे लेखपाल कुछ ऐसे कानूनगो हैं जो वादकारियों को इसी प्रकार से उलझाए रखते हैं। मगर राजस्व विभाग के लोग न जाने कौन सी पढ़ाई किये हैं कि सही जांच भी नही कर पाते। बतादे की राजस्व टीम यदि सही फैसला लेकर न्याय करती तो वादकारियों को इस प्रकार से तहसील के चक्कर नहीं लगाना पड़ता । सभी जमीनी विवाद इसी तरह हल हो जाते। मगर आज भ्रष्ट अधिकारी भ्रष्ट प्रशासन और भ्रष्ट कर्मचारियों के चलते वादकारी तहसील व थाने के चक्कर लगाता रहता है। मगर उसे कहीं पर भी न्याय नहीं मिलता। अपनी बात रखने के लिए जब वह जिला मुख्यालय पर जाता है तो उसके हाथों दिए गए प्रार्थना पत्र को उसी भ्रष्ट अधिकारियों को सौंप दिया जाता है जो चंद पैसों के लिए गलत तरीके से जांच कर रिपोर्ट लगा देते हैं। इस प्रकार से सिलसिला चलता रहता है। आगे चलकर इन्हीं अधिकारियों के चलते विवाद बढ़ता है। और हत्या होने की संभावना भी बन जाती है। कहां सोया है शासन-प्रशासन क्या हो गया है शासन प्रशासन को। जो चंद पैसों के चलते मासूम लोगों में विवाद उत्पन्न करा देती है।