शिक्षा के साथ भारतीय संस्कृति, संस्कारों व धर्म का ज्ञान भी जरूरी है : महंत राजेंद्र पुरी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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जितने स्कूल जरूरी हैं उतने ही जरूरी मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे भी : महंत राजेंद्र पुरी।
कुरुक्षेत्र, 12 मार्च : जग ज्योति दरबार में आयोजित कार्यक्रम में महंत राजेंद्र पुरी ने श्रद्धालुओं को धर्म प्रचार का संदेश देते हुए आमजन से बातचीत के दौरान सवाल-जवाब भी किए। साथ लोगों की जिज्ञासाओं को शांत करते हुए विचार भी जाने और समझाया कि आज के आधुनिक युग में लोग कहते हैं कि शिक्षा के लिए अधिक से अधिक स्कूल एवं शिक्षण संस्थान होने चाहिए। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में शिक्षा के साथ धर्म ज्ञान भी जरूरी है। यह मंदिर मंदिर एवं गुरुद्वारों से ही संभव है। महंत जी ने कहा कि जितनी जरूरी स्कूली शिक्षा है उससे कहीं ज्यादा धर्म और सनातन की जानकारी जरूरी है। शिक्षा से एक आदमी खुद के लिए पैसे कमाने एवं जरूरत के साधन जोड़ने लायक तो हो जाता है परंतु सामाजिक तौर पर धर्म और सनातन की जानकारी वा अपने संस्कारो की दिशा में कमजोर होता जा रहा है। ऐसे प्रमाण मौजूद हैं कि आने वाली पीढ़ी संस्कार भूलती जा रही है। यह गलत धारणा बनती जा रही है मंदिरों पर खर्च व्यर्थ है।
महंत ने कहा कि गुजरात के सोमनाथ मंदिर की वजह से वहां भगवान का आशीर्वाद है, इसलिए गुजरात प्रदेश व्यापार में तरक्की के मामले सबसे आगे है। वृंदावन धाम में श्री राधा-कृष्ण जी कृपा है, जहां भगवान श्री कृष्ण आज भी विराजमान है। बस दिखते उन्हें हैं जो ज्ञान और मन की आंखों से देखने की क्षमता रखता है। इसलिए वृंदावन बाकी जगहों की तुलना में खूब फूल-फल रहा है।
उन्होंने कहा कि आज के युग में हम भारतीय लोग पश्चिम सभ्यता एवं संस्कृति अपनाकर फूहड़ता की ओर जा रहे हैं। वहीं विदेशी धरती से लोग वृंदावन आकर भगवान श्री राधा-कृष्ण जी से प्रभावित होकर भारतीय संस्कृति अपना रहे हैं। यह शिक्षा हमें स्कूल से नहीं मिलती है। इसके बाद पंजाब में स्वर्ण-मंदिर के होने से पूरा पंजाब तरक्की की राह पर है। सिर्फ स्वर्ण मंदिर के होने से कितने ही यूनिवर्सिटी और स्कूल खोले जा रहे हैं, लोगों की सुविधा के लिए सड़क और पुलों का निर्माण किया गया है। जो काम सरकार नहीं कर सकी वो स्वर्ण-मंदिर प्रबंधन द्वारा किया जा रहा है। महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि भारत देश का गौरव अयोध्या में निर्माणाधीन श्री राम मंदिर जिस दिन बनकर तैयार हो जाएगा उस दिन भारत देश आर्थिक और राजनीतिक दिशा में नही अपितु धर्म और संस्कारों की दिशा में दोबारा विशेष पहचान बना लेगा। भारत देश की पहचान पूजा-पाठ, तप और संस्कार, धर्म व सनातन के बारे जानकारी होगी। देश तरक्की की राह पर चलेगा ।
महंत ने कहा कि आधुनिकता के लिए नाम और पैसा कमाने के लिए शिक्षा जरूरी है। शिक्षा के लिए स्कूल-कॉलेज जरूरी है । दुर्भाग्य तो यह भी है स्कूल-कालेज में जाकर ही हमारी पीढ़ी वेलेंटाइन, लिविंग में रहना, मां-बाप की मर्जी के खिलाफ विवाह शादी के बंधन में बंध जाना, रिश्तों की पहचान भूल रहे है । इसलिए यह जरूरी है कि जीने के लिए जितना धन, वैभव और स्टेटस जरूरी है। उतना ही जरूरी संस्कार और सनातन की जानकारी भी है। जो सिर्फ मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे जाने से ही मिलेगी।
जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी।