बरसात के कारण किसानों की फसल के नुकसान की संतों को भी हुई चिंता।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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बरसात से हुए फसल के नुकसान का जायजा लेने पहुंचे महंत राजेंद्र पुरी।
महंत राजेंद्र पुरी ने हिंदू नव वर्ष और नवरात्रों की दी शुभकामनाएं।
कुरुक्षेत्र, 21 मार्च : जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी ने दर्जनों गांवों में अपने सहयोगियों के साथ कल हुई बरसात के कारण हुए फसलों के नुकसान का जायजा लिया। किसानों ने बताया मुख्य रूप से गेहूं, सरसों और सूरजमुखी की फसल का नुकसान अधिक हुआ है। अबकी बार प्रदेश में किसानों ने यही फसलें अधिक मात्रा में लगा रखी थी। बरसात से गिरी फसलों को देखकर महंत राजेंद्र पुरी अत्यंत भावुक और दुखी हुए। उन्होंने चिंता जताई कि सभी छोटे और बड़े किसानों का कल की बरसात से काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने सरकार से भी अपील की कि संभव हो तो जल्द जल्द से इस तरफ जरूर ध्यान दिया जाए।
इसके उपरांत गांवों में हुए धार्मिक कार्यक्रमों में महंत ने देश और प्रदेशवासियों को हिंदू नव वर्ष और नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएं दी। ग्रामीणों को संदेश देते हुए माता रानी के नौ स्वरूपों प्रथम मां शैलपुत्री, द्वितीय देवी ब्रह्मचारिणी, तृतीय मां चंद्रघंटा, चतुर्थ देवी कूष्मांडा, पंचम देवी स्कंदमाता, षष्टम मां कात्यायनी, सप्तम देवी कालरात्रि, आठवां स्वरूप महागौरी, नवम मां सिद्धिदात्री बारे जानकारी दी और कहा कि नवरात्रि के नौ दिन मां के स्वरूप के अनुसार पहनें कपड़े, मां दुर्गा का मिलेगा आशीर्वाद।
महंत राजेंद्र पुरी ने सत्संग करते हुए कहा कि 22 मार्च से वासंतिक नवरात्रि प्रारंभ हो रहे हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि माता भगवती की उपासना के लिए श्रेष्ठ समय होता है। नवरात्रि में नव का अर्थ है नया और रात्रि का अर्थ है, यज्ञ-अनुष्ठान अर्थात नया अनुष्ठान। शक्ति के नौ रूपों की आराधना नौ अलग-अलग दिनों में करने के क्रम को ही नवरात्रि कहते हैं। जो जीवात्मा, भूताकाश, चित्ताकाश और चिदाकाश में सर्वव्यापी है वही मां ब्रह्म शक्ति है। पूजा-पाठ कलश स्थापना, मां दुर्गा के श्रृंगार के अलावा इन नौ दिनों में आप अलग-अलग देवियों के रूप के अनुरूप वस्त्र पहनकर पूजा के फल में वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ध्यान रहे देवी की पूजा में गंदे और फटे हुए वस्त्र भूलकर भी न पहनें।
महंत राजेंद्र पुरी ने बताया कि मां के नवरात्र का हर दिन पूजनीय है। नवरात्र का पहला यानि प्रतिपदा का दिन पर्वतराज हिमालय की पुत्री मां शैलपुत्री को समर्पित है। इस दिन कलश पूजन के साथ मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। दूसरे दिन स्वरूप से पूर्ण ज्योतिर्मय और भव्य माता ब्रह्मचारिणी की उपासना करते है। तीसरे दिन दस भुजाओं वाली मां शक्ति के तीसरे रूप चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है। चौथे दिन शेर पर सवार माँ कूष्माण्डा देवी ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी। इन्हीं के तेज और प्रकाश से दसों दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं। भगवान कार्तिकेय (स्कन्द) की माता होने के कारण देवी के इस पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। इसके बाद देवी कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है। दुर्गा पूजा के सातवें दिन तमाम आसुरिक शक्तियों का विनाश करने वाली देवी माँ कालरात्रि की पूजा का विधान है। अष्टम दुर्गा महागौरी मां का आठवां स्वरूप यानी देवी महागौरी सर्व सौभाग्यदायिनी मानी जाती हैं।
कार्यक्रम के दौरान सोमबीर काजल, दिनेश काजल, योगेश, कैथल से समाज सेवी देवी राम कसान, प्रदीप सकरा, सेवक राज कुमार, गुरविंदर गिल बिल्लू आदि मौजूद रहे।
बरसात से गिरी फसलों को देखते हुए महंत राजेंद्र पुरी।