जयराम विद्यापीठ कुरुक्षेत्र में चल रहा है दुर्गा सप्तशती पाठ अनुष्ठान।
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नवरात्रों में दर्गा सप्तशती पाठ अनुष्ठान में होती है पूर्ण सावधानी : आचार्य लेखवार।
कुरुक्षेत्र, 24 मार्च : ब्रह्मसरोवर के तट पर श्री जयराम विद्यापीठ में चैत्र नवरात्रों के अवसर पर देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के मार्गदर्शन तथा प्रेरणा से निरंतर दुर्गा सप्तशती पाठ अनुष्ठान चल रहा है। अनुष्ठान के तीसरे दिन भी दुर्गा सप्तशती पाठ विद्वान ब्राह्मणों द्वारा विधिवत तौर पर किया गया। नवरात्र दुर्गा अनुष्ठान करवा रहे आचार्य राजेश प्रसाद लेखवार शास्त्री ने बताया कि किसी अन्य देवी-देवताओं की पूजा-आराधना में भले ही यजमान व ब्राह्मण विधि एवं नियमों पर अधिक ध्यान न देते हों, लेकिन यदि नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती पाठ अनुष्ठान चल रहा है, तो पूर्ण सावधानी बरतना व विधि का पूर्णरूपेण पालन करना जरूरी है। नवरात्रों के तीसरे दिन भी विद्यापीठ में श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना सम्पन्न करवाई। जयराम विद्यापीठ में परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के मार्गदर्शन अनुसार विद्वान ब्राह्मणों एवं ब्रह्मचारियों द्वारा निरंतर जाप एवं पाठ किया जा रहा है। आचार्य लेखवार ने बताया प्राचीन काल से कीलक, कवच और अर्गला का पाठ भी सप्तशती के मूल मंत्रों के साथ ही किया जाता रहा है। आज इसमें अथर्वशीर्ष, कुंजिका मंत्र, वेदोक्त रात्रि देवी सूक्त आदि का पाठ भी समाहित है। जिससे साधक देवी पाठ करते हैं। उन्होंने बताया कि दुर्गा सप्तशती के पाठ को बहुत ही सावधानीपूर्वक सभी जरूरी नियमों व विधि का पालन करते हुए ही करना चाहिए क्योंकि यदि इस पाठ को सही विधि से व बिल्कुल सही तरीके से किया जाए, तो मनचाही इच्छा भी नवरात्रों के नौ दिनों में ही जरूर पूरी हो जाती है, लेकिन यदि नियमों व विधि का उल्लंघन किया जाए, तो दुर्घटनाओं के रूप में भयंकर परिणाम भी भोगने पड़ते हैं और ये दुर्घटनाएं भी नवरात्रों के नौ दिनों में ही घटित होती हैं। जयराम विद्यापीठ में प्रत्येक नवरात्रों की भांति विभिन्न राज्यों से पूजन के लिए श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इस अवसर पर सेवक रोहित कौशिक के साथ जयराम संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य रणबीर भारद्वाज, जयराम शिक्षण संस्थान के निदेशक एस एन गुप्ता, के के कौशिक, राजेश सिंगला, सतबीर कौशिक, प्राध्यापक प्रवीण शर्मा, राम जिवारी इत्यादि भी मौजूद रहे।
जयराम विद्यापीठ की यज्ञ शाला में पूजन एवं आरती करते हुए।