दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में कथा व्यास साध्वी भाग्यश्री भारती जी ने बताया कि इस संसार में यदि कोई पूर्णरूपेण निर्भय है तो वह केवल ईश्वर है इसलिए आवश्यकता है उस ईश्वर को जानने की
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा 4 अप्रैल से लेकर 6 अप्रैल तक कथा स्थल पर चिकित्सा केंद्र द्वारा आयुर्वेदिक शिविर भी लगाया जाएगा-स्वामी धीरानंद
फिरोजपुर 04 अप्रैल [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]:=
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा कैंट रोड़,नज़दीक टीवी टॉवर,फाजिल्का में श्रीमद्भागवत कथा का भव्य आयोजन किया गया है।आयोजन के चतुर्थ दिवस के प्रारम्भ में चेयरमेन रिटेल करियाणा एसोसिएशन पंजाब कृष्णलाल जसूजा,पार्षद पूजा लूथरा, सेवक सभा शिवपुरी के प्रमुख सेवादार सन्दीप कटारिया और गौरव कुक्कड़ ने परिवार सहित पूजन करवाया। कथा व्यास साध्वी भाग्यश्री भारती जी ने गजेन्द्र प्रसंग सुनाते हुए बताया कि गजेन्द्र की कहानी प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का प्रतीक है। आज का इंसान भी तो इस संसार में आकर संसार के भोग-विलासो में, रिश्तों-नातों में ही मस्त रहता है। किन्तु जब काल आक्रमण करता है तो कोई भी साथ नहीं देता। क्योंकि संसार के जो रिश्ते हैं, वह स्वार्थ की नींव पर टिके होते हैं। जो सम्बन्ध स्वार्थ की नींव पर टिके होते हैं वह सदा साथ नहीं निभाते। इसलिए क्यों न एक ऐसे शाश्वत रिश्ते की तलाश की जाए, जो ज़िन्दगी को एक मजबूत आधार दे, सुरक्षा दे। जिसके टूट जाने का भय न हो। जो निर्भयता प्रदान कर सके और निर्भयता वही प्रदान कर सकता है, जो स्वयं निर्भय हो। इस संसार में यदि कोई पूर्ण रूपेण निर्भय है तो वह केवल ईश्वर है। इसलिए आवश्यकता है उस ईश्वर को जानने की।
श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग के अंतर्गत साध्वी जी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण निराकार ब्रह्म है, जो अधर्म ,पाप , अत्याचार के बोझ तले दबी वसुंधरा पर त्रस्त जनमानस की करुण पुकार सुनकर धर्मस्थापना हेतु धरा पर अवतरित होते है। क्योंकि कंस अज्ञानता और तमस्क्रांत साम्राज्य का प्रतीक है। जो मानव मन में जड़े जमाता है, विचारों को संकीर्ण बनाकर बाहरी परिवेश में धर्म के नाम पर हिंसा, जाति पाति के भेद भाव जैसे रूपों में मानव को मानवता से वंचित कर पतन की और मोड़ता है। साध्वी जी ने बताया जिस प्रकार प्रकाश से दूर रहना ही अंधकार है उसी प्रकार प्रभु से दूर रहना ही दुख, संताप व् क्षोभ का कारण है। अवतार शब्द का अर्थ बताते हुए उन्होंने बताया कि अवतार का अर्थ है नीचे उतरना। अपनी परम अवस्था से जन कल्याण के लिए धरा पर उतरा परम तत्व ही ईश्वर अर्थात् अवतार कहलाता है। जहां एक मानव अपने कर्म बंधनों में जकड़ा हुआ, अपने कर्मों के फल को भोगने के भोगने के लिए इस धरती पर आता है, वहीं पर वह ईश्वर अपनी योग माया के द्वारा प्रकृति को अधीन कर, मानव को सही राह दिखाने के लिए इस धरती पर आते हैं। साध्वी बहनों ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर बधाई गीत गाए। सभी भगतों ने झूला झुलाकर ठाकुर जी का आशिर्वाद प्राप्त किया और नाच गाकर अपनी खुशी को व्यक्त किया। इस अवसर पर फाजिल्का विधायक नरिन्दर पाल सिंह सवना ने विशेष रुप से हाजरी लगवाई, इनके अलावा ट्रक यूनियन प्रधान मनजोत खेड़ा, डॉ रेणु धूड़िया,कंवल धूड़िया, मनोज तिवारी, संदीप कामरा, मंजीत स्वामी, विनेश कालड़ा भी उपस्थित रहे। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में सभी को माखन मिश्री का प्रसाद वितरित किया गया। पावन आरती में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से प्रान्त परिवार प्रबोधन प्रमुख विजय नन्द, जिला प्रचारक मोहित कुमार,दर्पण और रामकुमार जी पहुंचे। एड्वोकेट श्याम पेडीवाल,मनीष कटारिया,जगदीश सिंह,रमन धवन, मोहन लाल बिदानी भी आरती में शामिल हुए। संस्थान की ओर से स्वामी धीरानन्द जी ने जानकारी देते हुए बताया कि संस्थान के आयुर्वेदिक चिकित्सा केन्द्र द्वारा 4 अप्रैल से लेकर 6 अप्रेल तक कथा स्थल पर कथा के दौरान आर्युवेदिक शिविर भी लगाया जाएगा। सारी संगत के लिए लंगर भंडारे का उचित प्रबन्ध किया जा रहा है।